भिलाई, स्मृति नगर।
संकट और शोक की घड़ी में भी मानवता की मिसाल कायम करते हुए स्मृति नगर, भिलाई निवासी स्व. श्रीमती सुधा देवी जैन के परिवार ने उनके निधन के पश्चात नेत्रदान और त्वचादान कर समाज को प्रेरित किया है। इस महान कार्य से दो नेत्रहीन व्यक्तियों को फिर से देखने की क्षमता मिलेगी, जबकि जरूरतमंदों को त्वचा का अमूल्य सहारा प्राप्त होगा।
श्रीमती सुधा देवी जैन के पुत्र संदीप जैन (संचालक – विद्याश्री ट्रेवल्स), सीमांत जैन, श्रीकांत जैन, सुशांत जैन, पुत्रियां रीता, सरिता, सीमा, रुचिता, सुचिता और बहुएं साक्षी, राखी, श्वेता जैन सहित पौत्र श्रेयांश संजय जैन ने मिलकर यह निर्णय लिया। इस संकल्प को पूरा करने में परिवार के दामाद नीरज जैन और नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्य राज आढ़तिया, रितेश जैन, राजेश पारख का सहयोग अहम रहा।
नेत्रदान की प्रक्रिया
श्री शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज, जुनवानी के डॉ. उत्कर्ष बंसल, डॉ. कल्याणी, डॉ. सृष्टि और नेत्र सहायक विवेक कसार ने नेत्रदान की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न किया।
त्वचादान की प्रक्रिया
पंडित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय, सेक्टर-9 के डॉ. अनिरुद्ध मैंने, डॉ. राहुल सिंगरौल, दीपक, राजन और विनीत ने त्वचादान की प्रक्रिया पूरी की।
परिवार का संकल्प और भावनाएं
संदीप जैन ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व उनके पूरे परिवार ने नवदृष्टि फाउंडेशन के माध्यम से नेत्रदान और देहदान का संकल्प लिया था। “आज जब माताजी के निधन पर दुख का पहाड़ टूटा, हमने अपने संकल्प को याद रखा और माताजी की इच्छा के अनुसार उनका नेत्रदान और त्वचादान किया,” उन्होंने कहा।
नवदृष्टि फाउंडेशन के सदस्य हरमन दुलई ने बताया कि जैन परिवार के दस सदस्यों ने पांच वर्ष पूर्व देहदान और नेत्रदान की शपथ ली थी। “आज माताजी के नेत्रदान से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और लोगों में जागरूकता बढ़ेगी,” उन्होंने कहा।
श्रद्धांजलि और साधुवाद
नवदृष्टि फाउंडेशन की ओर से अनिल बल्लेवार, कुलवंत भाटिया, प्रवीण तिवारी, मुकेश आढ़तिया, मंगल अग्रवाल, जितेंद्र हासवानी, किरण भंडारी, उज्जवल पींचा, सत्येंद्र राजपूत, सुरेश जैन, पीयूष मालवीय, दीपक बंसल, विकास जायसवाल, मुकेश राठी, प्रभु दयाल उजाला, प्रमोद बाघ, सपन जैन, यतीन्द्र चावड़ा, बंसी अग्रवाल, अभिजीत पारख, मोहित अग्रवाल, चेतन जैन, दयाराम टांक, विनोद जैन, राकेश जैन और अन्य सदस्यों ने श्रीमती सुधा देवी जैन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जैन परिवार को साधुवाद दिया।
यह घटना न केवल भिलाई बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है कि कठिनतम क्षणों में भी सेवा और दान की भावना अमर की जा सकती है।
