रायपुर, 12 अगस्त 2025।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के दिशा-निर्देशन में लागू शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति अब प्रदेश के गांव-गांव में शिक्षा का उजाला फैला रही है। इस नीति के तहत अतिरिक्त और रिक्त पदों का संतुलन कर जहां जरूरत है वहां शिक्षक भेजे जा रहे हैं, जिससे अब सुदूर अंचल के बच्चों को भी नियमित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।
कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र कोरकोमा का शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला इसका जीता-जागता उदाहरण है। यहां 319 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन पहले शिक्षकों की कमी के कारण कई कालखंड खाली रह जाते थे। युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बाद यहां दो शिक्षिकाओं — श्रीमती रामेश्वरी रत्नाकर और श्रीमती पद्मा निषाद — की पदस्थापना हुई। अब अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और हिंदी सभी विषयों की कक्षाएं समय पर हो रही हैं।
प्रधानपाठक श्री गोपाल प्रसाद साव बताते हैं, “दर्ज संख्या के अनुसार दो शिक्षकों की कमी थी, जो अब पूरी हो गई है। नई शिक्षिकाएं आते ही कक्षाओं में जुट गईं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पटरी पर आ गई है।”
विद्यार्थी सुनील, समीर, गुंजन, स्नेहा, राकेश और साहिल खुशी से कहते हैं, “अब कोई पीरियड खाली नहीं जाता। 5 से 7 किलोमीटर दूर से आने वाले बच्चों के लिए यह बदलाव बड़ी राहत है।”
इस पहल ने न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई को मजबूती दी है, बल्कि अभिभावकों का भरोसा भी विद्यालय पर बढ़ाया है। शासन की यह कोशिश शिक्षा के अधिकार को मजबूत करते हुए सुनिश्चित कर रही है कि राज्य का कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित न रहे।
