नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025।
डीएमके की सांसद और संसदीय दल की नेता कनिमोझी ने आज संसद में जारी गतिरोध और बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर चर्चा न होने पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्ष की आवाज दबा रही है और लोकतांत्रिक परंपराओं को कमजोर कर रही है।
कनिमोझी ने याद दिलाया कि सोमवार को विपक्षी सांसदों ने ‘वोट चोरी’ के आरोपों के खिलाफ चुनाव आयोग तक मार्च निकाला, जिसमें कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा, शिवसेना (उद्धव) के संजय राउत और टीएमसी की सागरिका घोष समेत 30 से अधिक सांसद शामिल थे। सभी को दिल्ली पुलिस ने कुछ देर हिरासत में रखा। पुलिस का कहना है कि इस पैमाने पर विरोध की अनुमति नहीं थी और केवल 30 सांसदों को चुनाव आयोग जाकर शिकायत दर्ज करने की इजाजत दी गई थी।
राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि 2024 लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 250 वोट पांच अलग-अलग तरीकों से “चोरी” किए गए। कांग्रेस की जांच में कई गड़बड़ियों के आरोप सामने आए, जिनमें एक घर में केवल 3 लोग रहने के बावजूद मतदाता सूची में 80 नाम दर्ज होना भी शामिल है।
कनिमोझी ने कहा,
“यह सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई नहीं है, यह देश के हर मतदाता के अधिकार की लड़ाई है। अगर हमें ही शक हो जाए कि जनता ने सरकार चुनी है या नहीं, तो लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाता है?”
उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब विपक्ष डिजिटल डेटा मांग रहा है तो आयोग सिर्फ पेपर डेटा क्यों दे रहा है, जिससे सच्चाई पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
कनिमोझी ने चेतावनी दी कि अगर यह स्थिति जारी रही, तो कोई भी राज्य चुनावी धांधली से सुरक्षित नहीं रहेगा।
“हमने हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में जो देखा है, उससे यह साफ है कि यह चिंता हर राज्य की है। चुनाव आयोग का दायित्व है कि वह जनता के मन में पैदा हुए संदेह को दूर करे,” उन्होंने कहा।
