रायपुर, 10 अगस्त 2025।
छत्तीसगढ़ में सड़कों पर भटकती गायें और अवैध पशु तस्करी लंबे समय से चिंता का विषय रही हैं। अब राज्य सरकार इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक नई पहल शुरू करने जा रही है। “गौधाम योजना” नामक इस योजना का उद्देश्य न केवल मवेशियों को सुरक्षित आश्रय देना है, बल्कि ग्रामीणों के लिए स्थायी रोजगार का रास्ता भी खोलना है।
पशुधन विकास विभाग द्वारा तैयार इस योजना में पुलिस द्वारा जब्त किए गए या सड़कों पर बेसहारा घूमते मवेशियों को संरक्षित गौधामों में रखा जाएगा। हर गौधाम में अधिकतम 200 मवेशियों की देखभाल की व्यवस्था होगी, जो स्थानीय जरूरत और क्षमता के अनुसार तय होगी।
पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कई बार आवारा मवेशियों से होने वाले सड़क हादसों पर चिंता जताई थी और सरकार से ठोस कदम उठाने को कहा था। नई योजना को इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
गांवों में रोज़गार का नया दरवाज़ा
इस योजना के तहत ग्वालों को ₹10,916 और गोपालकों को ₹13,126 मासिक मानदेय मिलेगा। इसके अलावा, चारे के लिए रोज़ाना अलग से भत्ता दिया जाएगा। काम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले गौधामों को पहले वर्ष ₹10, दूसरे वर्ष ₹20, तीसरे वर्ष ₹30 और चौथे वर्ष ₹35 प्रति पशु प्रतिदिन का अतिरिक्त भुगतान भी मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “गौधाम योजना से न केवल मवेशियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि हज़ारों ग्रामीण परिवारों को सम्मानजनक और नियमित आय का साधन मिलेगा।”
यह योजना पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार की गौठान योजना की जगह लेगी। नई योजना में मानदेय और भुगतान की प्रक्रिया सीधे सरकार के नियंत्रण में होगी, जिससे पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी।
गांव के एक ग्वाले रामलाल साहू, जिनके परिवार की जीविका पशुपालन पर निर्भर है, ने खुशी जताते हुए कहा, “अब हमें रोज़गार के लिए गांव छोड़ना नहीं पड़ेगा। हमारे ही गांव में काम मिलेगा और गायों को भी सुरक्षित घर।”
नई गौधाम योजना से उम्मीद है कि न केवल सड़कों पर पशुजनित हादसे कम होंगे, बल्कि ग्रामीण अंचलों की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
