‘निरंतर पहल’ की काव्य गोष्ठी में बरसी कविताओं की रिमझिम, बसंत दीवान को दी भावभीनी श्रद्धांजलि

रायपुर।
सात अगस्त को देश के चर्चित छायाकार, कवि और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के लिए लंबे समय तक संघर्ष करने वाले बसंत दीवान की जयंती के अवसर पर शहर के साहित्य प्रेमी एक विशेष आयोजन में जुटे। समाचार और विचारों की मासिक पत्रिका ‘निरंतर पहल’ द्वारा एनआईटी कॉफी हाउस के गोल्डन टॉवर हॉल में आयोजित “कविताओं की रिमझिम” काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ, युवा और उर्दू अदब के रचनाकारों ने स्त्री विमर्श, मानवीय रिश्तों, पर्यावरण और सियासत जैसे मुद्दों पर अपनी संवेदनशील रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया।

कार्यक्रम में शामिल हुए रचनाकारों ने बसंत दीवान को उनकी बेखौफ आवाज़ और धारदार लेखनी के लिए याद किया। उनके समकालीन कवि गिरीश पंकज, नीलू मेघ, सतीश जायसवाल और रामेश्वर शर्मा ने उनसे जुड़े रोचक और अविस्मरणीय संस्मरण साझा किए। इस मौके पर उनके पौत्र अक्षत दीवान ने बसंत दीवान की मशहूर कविता ‘बोलो श्रृंगार किसे कहते हैं’ को पुराने कैसेट से डिजिटल रूप में परिवर्तित कर सबको सुनाया। दीवान की जीवंत आवाज़ सुनकर हॉल में भावनाओं की लहर दौड़ गई।

वरिष्ठ पत्रकार सुदीप ठाकुर ने राजनीति से उपजी अमानवीय परिस्थितियों पर अपनी तीखी कविताओं से माहौल को गहरा बना दिया। वहीं मीसम हैदरी ने सियासत और सच के रिश्ते पर असरदार शायरी पेश की। निकष परमार ने पानी के रूपक के माध्यम से पर्यावरणीय संदेश दिया, तो लंदन से लौटी युवा कवयित्री डॉ. काव्या रथ ने पीढ़ियों के अंतर को पाटने वाली कोमल भावनाओं से भरी कविताएं सुनाकर सभा में नर्माहट घोल दी।

अनु चक्रवर्ती ने रिश्तों की नमी और स्त्री विमर्श पर मर्मस्पर्शी रचनाएं पढ़ीं। देवेन्द्र गोस्वामी ने मन की उलझनों पर छोटी लेकिन गहरी कविता सुनाई, जबकि रुपिंदर राज ने क्रूरता की परतें उधेड़ने वाली कविता से सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।

कार्यक्रम के उत्तरार्ध में वरिष्ठ कवि और गीतकार मीर अली मीर ने अपने तरन्नुम में “बादलों की प्यालियों में रोशनी परोसकर” गाकर गोष्ठी को एक ऊंचे मुकाम पर पहुंचा दिया। आमना खातून ने बसंत दीवान की कविताओं को याद करते हुए कहा कि वे वर्षों पहले ही खौफनाक आहट को पहचान गए थे।

इस काव्य गोष्ठी में नंद कुमार कंसारी, संजय शर्मा शाम, वंदना केंगरानी, प्रज्ञा त्रिवेदी, और समीर दीवान सहित अनेक रचनाकारों ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं।
कार्यक्रम में देश के चर्चित आलोचक सियाराम शर्मा, सुशील त्रिवेदी, इप्टा के वरिष्ठ साथी मिनहाज़ असद, वरिष्ठ पत्रकार रूचिर गर्ग, प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर, वर्षा बोपचे, जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सचिव राजकुमार सोनी, उमेश शर्मा, मलय दीवान, प्रो. सुधीर उप्रीत, साहित्यकार अजय किरण अवस्थी, विभोर तिवारी, ग्रीन आर्मी संस्थापक अमिताभ दुबे और कवि-सीए निश्चय बाजपेयी विशेष रूप से मौजूद रहे।