छत्तीसगढ़ में निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम की खोज: खनिज विकास के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि

रायपुर, 5 अगस्त 2025/ – छत्तीसगढ़ राज्य ने खनिज विकास के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। मेसर्स डेक्कन गोल्ड माइनिंग लिमिटेड (DGML) ने महासमुंद जिले के भालुकोना–जामनीडीह क्षेत्र में निकेल (Nickel), क्रोमियम (Chromium) और प्लेटिनम समूह के तत्वों (PGEs) की खोज कर देश को रणनीतिक खनिजों के क्षेत्र में नई दिशा दी है।

यह खोज लगभग 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले ब्लॉक में की गई, जिसका प्रारंभिक अन्वेषण भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा किया गया था। इस अन्वेषण के आधार पर छत्तीसगढ़ शासन के भूविज्ञान एवं खनिकर्म संचालनालय (DGM) ने विस्तृत डेटा तैयार कर ई-नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से इस ब्लॉक का सफल आवंटन किया।

नीलामी से अन्वेषण तक: रणनीतिक साझेदारी और सहयोग

6 मार्च 2023 को DGML ने 21% की उच्चतम बोली लगाकर ब्लॉक हासिल किया। इसके बाद DGML ने सरकार के तकनीकी मार्गदर्शन के साथ विस्तृत भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, रॉक चिप सैंपलिंग, ड्रोन आधारित मैग्नेटिक सर्वे, और इंड्यूस्ड पोलराइजेशन (IP) जैसे आधुनिक तकनीकी विधियों से अन्वेषण कार्य आरंभ किया।

अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 700 मीटर लंबी खनिजीकृत पट्टी और 300 मीटर गहराई तक सल्फाइड खनिजों की संभावित उपस्थिति दर्ज की गई है, जो इस क्षेत्र की समृद्ध खनिज क्षमता को दर्शाता है।

महासमुंद: भारत का नया रणनीतिक खनिज केंद्र

भालुकोना ब्लॉक के पास स्थित केलवरडबरी ब्लॉक पहले ही वेदांता लिमिटेड को नीलाम किया जा चुका है। इन दोनों ब्लॉकों के संयुक्त विकास से महासमुंद क्षेत्र को रणनीतिक खनिजों के राष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित किए जाने की संभावनाएँ प्रबल हुई हैं।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि को ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि राज्य सरकार सतत खनिज विकास को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

रणनीतिक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

खनिज संसाधन विभाग के सचिव श्री पी. दयानंद ने कहा, “यह केवल एक वैज्ञानिक खोज नहीं, बल्कि रणनीतिक छलांग है। निकेल और PGEs जैसी धातुएं हरित ऊर्जा और भविष्य की तकनीकों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। छत्तीसगढ़ भारत के खनिज मानचित्र में अब एक केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।”

राज्य सरकार ने रणनीतिक खनिजों की खोज को प्राथमिकता देते हुए Critical Mineral Cell की स्थापना की है, जो शैक्षणिक और तकनीकी संस्थानों के साथ मिलकर खोज और शोध को आगे बढ़ा रहा है।

भविष्य की दिशा

विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज न केवल छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा को उजागर करती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, तकनीकी आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।