नेत्रदान से मिला दो लोगों को नया जीवन: पद्मनाभपुर की श्रीमती निर्मला बाफना के प्रेरणादायक सत्कर्म को नवदृष्टि फाउंडेशन ने सराहा

दुर्ग, 5 अगस्त 2025पद्मनाभपुर, दुर्ग निवासी और पूर्व टैक्स कंसल्टेंट श्री हुकुमचंद बाफना की धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला बाफना के निधन के पश्चात उनके नेत्रदान के निर्णय से दो लोगों को नई रोशनी मिली है। यह एक प्रेरणादायक सामाजिक पहल बन गई है, जिससे न केवल बाफना परिवार, बल्कि पूरा समाज गौरवान्वित हुआ है।


परिवार ने दिखाया महान भाव: दुख की घड़ी में भी लिया परोपकार का निर्णय

श्रीमती निर्मला बाफना के निधन के बाद उनके पति हुकुमचंद बाफना, पुत्रगण विनय, विपिन, विकास, पुत्री विभा और बहुएं रेखा, ममता व संजू बाफना ने मिलकर नेत्रदान की सहमति दी।

पुत्र विपिन बाफना ने कहा:

“आज माँ के जाने से पूरा परिवार दुखी है, लेकिन उन्होंने जीवनभर दूसरों की भलाई की और अब अपने नेत्रों के माध्यम से दो लोगों को नई दृष्टि देकर अमर हो गईं। यह हमारा सौभाग्य है कि हम उनके सत्कर्म को आगे बढ़ा पाए।”


नेत्रदान प्रक्रिया में सक्रिय रहा नवदृष्टि फाउंडेशन

जैसे ही नेत्रदान की सूचना मिली, नवदृष्टि फाउंडेशन के राज आढ़तिया, रितेश जैन, कुलवंत भाटिया, मंगल अग्रवाल, हरमन दुलई, राजेश पारख, जितेंद्र हासवानी एवं प्रभुदयाल उजाला तुरंत सक्रिय हो गए।

शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज के डॉ. संदीप बचकर एवं नेत्र सहायक विवेक कसार ने समय रहते कॉर्निया कलेक्ट कर दो नेत्रहीनों के लिए नई दृष्टि सुरक्षित की।


सामाजिक जागरूकता की मिसाल

नवदृष्टि फाउंडेशन के रितेश जैन ने बताया:

“हमारी संस्था लगातार नेत्रदान, देहदान और त्वचा दान के प्रति समाज में जागरूकता ला रही है। लोग अब स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं। यदि कोई सहयोग या मार्गदर्शन चाहता है, तो हमारे सदस्य या इन नंबरों पर संपर्क कर सकता है: 9826156000 / 9827190500।”


समाज के प्रतिष्ठित परिवार ने बढ़ाया मान

मंगल अग्रवाल ने कहा:

“बाफना परिवार समाज का प्रतिष्ठित परिवार है। उनका यह निर्णय समाज के सभी वर्गों के लिए एक प्रेरणा है। इससे नेत्रदान जैसे महादान के प्रति जागरूकता और बढ़ेगी।”


श्रद्धांजलि और साधुवाद

नवदृष्टि फाउंडेशन की ओर से अनिल बल्लेवार, कुलवंत भाटिया, राज आढ़तिया, प्रवीण तिवारी, मुकेश आढ़तिया, मंगल अग्रवाल, हरमन दुलई, रितेश जैन, जितेंद्र हासवानी, सहित कई सदस्यों ने श्रीमती निर्मला बाफना को श्रद्धांजलि अर्पित की और बाफना परिवार को साधुवाद दिया।

इस नेक कार्य से नेत्रदान को सामाजिक परंपरा का रूप देने की ओर एक सार्थक कदम उठाया गया है।