रूसी तेल पर भारत का रुख साफ: “राष्ट्रीय हित में लिया गया फैसला, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पूर्ण पालन”

नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025 —
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह रूसी तेल की आपूर्ति करना जारी रखेगा, और यह निर्णय मूल्य, गुणवत्ता, भंडारण और आर्थिक कारकों पर आधारित है। यह बयान उस समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “मुझे जानकारी मिली है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, लेकिन मैं इसके सही होने को लेकर निश्चित नहीं हूं।”

एएनआई को सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत की ऊर्जा रणनीति राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है, लेकिन साथ ही यह वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता में भी योगदान करती है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और अपनी ज़रूरत का 85% कच्चा तेल आयात करता है।

सूत्रों ने कहा कि अगर भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल नहीं खरीदा होता, तो वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल के मार्च 2022 के रिकॉर्ड को पार कर जातीं। साथ ही, ओपेक के उत्पादन में 5.86 मिलियन बैरल प्रतिदिन की कटौती से भी वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हुई है।

“रूसी तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं”
सरकारी सूत्रों ने बताया कि रूसी तेल पर अमेरिका या यूरोपीय संघ द्वारा कभी कोई प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं लगाया गया। बल्कि इसे G7/EU मूल्य-सीमा तंत्र के अंतर्गत रखा गया, ताकि राजस्व सीमित किया जा सके लेकिन आपूर्ति बाधित न हो

भारत के तेल विपणन कंपनियों (OMCs) ने हमेशा अमेरिकी $60/बैरल मूल्य-सीमा का पालन किया है, और ईयू द्वारा प्रस्तावित $47.6/बैरल मूल्य का भी सितंबर से पालन होगा।

भारत ने ईरान और वेनेजुएला से तेल खरीद को रोक रखा है, क्योंकि इन देशों के खिलाफ अमेरिका ने वास्तविक प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिका द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और अतिरिक्त पेनल्टी लगाने की घोषणा के बाद, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारतीय कंपनियों ने रूसी तेल की खरीद बंद कर दी है। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने इन दावों को खारिज किया और कहा कि “रूसी तेल की खरीद पूरी तरह वैध और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत हो रही है।”