अहमदाबाद, 2 अगस्त 2025 —
गुजरात की स्टेट साइबर क्राइम सेल ने शुक्रवार को एक बड़ी साइबर ठगी का खुलासा करते हुए 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन पर गांधीनगर की एक डॉक्टर से 19.24 करोड़ रुपये की ठगी करने का आरोप है। आरोपियों ने पीड़िता को 103 दिनों तक ‘डिजिटल गिरफ्त’ में रखा और उसे डराकर उसकी संपत्तियां बेचवाकर करोड़ों रुपये अपने खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार की गई है:
यशपालसिंह भारतसिंह चौहान (24), नाज़ इब्राहिम रजसुमरा (23), निलेश जामण रांक (32), जयदेव बंकेश निर्मल (20), आमिर हुसैन अनवर मानेक (21), शब्बीर हनीफ समवत (23), राशिद रमजान पठान (21), इस्माइल बाचू खुम्बिया (29)।
इन्हें राजकोट, अमरेली और जामनगर से स्थानीय पुलिस की मदद से पकड़ा गया।
कैसे हुआ खुलासा?
साइबर सेल ने बैंक खातों की मनी ट्रेल को ट्रैक किया। एक साथ आठ खातों से 50 लाख रुपये से अधिक की निकासी हुई थी। इसके आधार पर डिटेक्टिव इंस्पेक्टर एन.डी. इंगरोडिया की निगरानी में तीन टीमों का गठन हुआ। स्थानीय पुलिस के सहयोग से तीनों शहरों से आरोपियों को पकड़ लिया गया।
धोखाधड़ी का तरीका:
28 जुलाई को पुलिस ने बताया था कि आरोपी खुद को टेलीकॉम अधिकारी, पुलिस सब-इंस्पेक्टर, सरकारी वकील और नोटरी बताकर महिला डॉक्टर से अलग-अलग नंबरों से संपर्क करते थे। उन्होंने एक फर्जी ईडी लेटर भेजा, जिसमें पीड़िता को FEMA और PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपी बताया गया।
इसके बाद उन्होंने महिला को आदेश दिया कि वह किसी से इस बारे में बात न करे। उन्होंने उसे व्हाट्सएप वीडियो कॉल्स के जरिए 103 दिन (15 मार्च से 26 जून) तक डिजिटल नजरबंदी में रखा।
क्या-क्या बिकवाया:
पीड़िता से एफडी तुड़वाकर, सोना बेचवाकर, गोल्ड लोन लेकर, घर और शेयर पोर्टफोलियो तक बिकवाया गया। उसे ‘फाइनेंशियल सुपरविज़नरी फ्रीजिंग सर्टिफिकेट’ के नाम पर झूठा आश्वासन दिया गया कि जांच के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा।
अभी तक पैसा बरामद नहीं:
पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि ठगों ने राशि को ‘अंगड़िया नेटवर्क’ के जरिए फैला दिया है, जिससे अभी पैसा बरामद नहीं हुआ है। मामले में अन्य अज्ञात आरोपियों की तलाश जारी है।
