मुंबई, 31 जुलाई 2025/
2008 मालेगांव ब्लास्ट केस में सालों बाद आया फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। एनआईए कोर्ट ने इस मामले में सातों आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन फैसला सुनाते समय कोर्ट रूम में हुई कुछ घटनाओं ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।
750 रुपये की वापसी की मांग
बरी किए गए आरोपियों में से एक समीर कुलकर्णी ने कोर्ट से 17 साल पहले जब्त किए गए ₹750 लौटाने की मांग की। उन्होंने बताया,
“गिरफ्तारी के समय ₹900 जब्त किए गए थे, लेकिन कागज़ों में सिर्फ ₹750 दर्ज हैं। चलो ₹150 छोड़ भी दें, तो कम से कम ₹750 तो लौटाइए।”
कोर्ट ने कहा कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, केस प्रॉपर्टी से कुछ भी वापस नहीं किया जाएगा। समीर कुलकर्णी भले ही आज़ाद हो गए हों, लेकिन अपने ₹750 के लिए उन्हें अभी और इंतज़ार करना पड़ेगा।
नारे लगाने की इजाज़त मांगी, कोर्ट ने मना किया
समीर कुलकर्णी ने कोर्ट से “भारत माता की जय” जैसे नारे लगाने की तीन सेकंड की अनुमति भी मांगी, लेकिन कोर्ट ने इसे अनुशासन के विरुद्ध बताते हुए सख्ती से इनकार कर दिया।
घायलों की संख्या में बदलाव
कोर्ट के आदेश के दौरान एक अहम बात सामने आई कि घायलों की वास्तविक संख्या 95 है, न कि 101। कोर्ट ने बताया कि 6 लोगों ने झूठे मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए ताकि वे मुआवज़ा ले सकें।
अब केवल उन 95 वास्तविक घायलों को ₹50,000 की सरकारी मुआवज़ा राशि दी जाएगी, जिनकी चोटें प्रमाणित हैं।
