रायपुर, 04 जुलाई 2025:
कभी वीरान पड़ा नारायणपुर जिले का ईरकभट्टी गांव आज बच्चों की चहचहाहट और पाठशाला की गूंज से फिर से जीवंत हो उठा है। वर्षों तक माओवादी गतिविधियों और उपेक्षा के चलते बंद पड़े स्कूल को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार द्वारा संचालित ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और युक्तियुक्तकरण प्रयासों ने नई संजीवनी दी है।
इस योजना के तहत सुरक्षा कैंपों के पाँच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में आवश्यक सुविधाएं प्राथमिकता से पहुंचाई जा रही हैं। ईरकभट्टी गांव में सड़क, बिजली और वर्षों से बंद पड़ा प्राथमिक शाला अब फिर से खुल चुका है। यहां अब नियमित रूप से दो शिक्षक – श्री अशोक भगत और श्रीमती लीला नेताम – बच्चों को शिक्षा देने में जुटे हैं।
शिक्षिका श्रीमती लीला नेताम कहती हैं, “पहले डर लगता था, लेकिन बच्चों की मुस्कान और सीखने की ललक ने वह डर भुला दिया। ये बच्चे बहुत होशियार हैं, उन्हें बस एक अवसर की जरूरत थी।” आज स्कूल में दर्जन भर से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, और गांव का माहौल पूरी तरह बदल चुका है।
गांव के बुजुर्ग मंगतु बाई भावुक होकर कहती हैं, “अब मेरी पोती भी अफसर बन सकती है। हमने ऐसा सपना कभी नहीं देखा था, लेकिन अब उम्मीद जगी है।”
‘नियद नेल्ला नार’ – यानी आपका अच्छा गांव – योजना न सिर्फ शिक्षा, बल्कि संपूर्ण विकास की दिशा में आदिवासी अंचलों की तकदीर बदलने में अहम भूमिका निभा रही है। ईरकभट्टी की यह कहानी अबुझमाड़ जैसे सैकड़ों गांवों के पुनर्जागरण की मिसाल बन चुकी है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा है कि उनकी सरकार हर उस गांव तक विकास की रोशनी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां अब तक केवल अंधेरा था। ईरकभट्टी जैसे गांवों में स्कूलों का दोबारा खुलना इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
