भारत में साइबर अपराध का बड़ा विस्फोट: डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम में 1.93 हजार करोड़ की ठगी, गुरुग्राम से लेकर गुवाहाटी तक फैला नेटवर्क

नई दिल्ली, 2 जुलाई 2025:
भारत में साइबर अपराध के मामलों में बीते वर्ष भारी उछाल देखने को मिला है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 1.23 लाख से अधिक मामलों में लगभग ₹1,935 करोड़ की ठगी हुई है।
इन मामलों में सबसे खतरनाक और तेजी से फैलते अपराध हैं — डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम, जिसमें शातिर जालसाज वीडियो कॉल पर फर्जी पूछताछ कर लोगों को डरा-धमका कर उनके बैंक खातों से लाखों रुपये निकाल लेते हैं।

गुरुग्राम से शुरू होकर 15 राज्यों तक फैला जाल

एक गहन जांच में एक 44 वर्षीय विज्ञापन कार्यकारी का मामला सामने आया है, जो इस स्कैम का शिकार बना। ठगी की शुरुआत NCR के एक लग्जरी अपार्टमेंट से हुई, फिर हरियाणा के एक गांव में एक साधारण घर, हैदराबाद के बाहरी इलाके में किराए का कमरा, और उसके बाद यह जाल 15 राज्यों में फैल गया
करीब ₹6 करोड़ की रकम, 28 बैंक खातों से होकर 141 और खातों में गई और फिर गायब हो गई।

पैसों को मूव करने के लिए ‘मनी म्यूल’ का इस्तेमाल

जांच में खुलासा हुआ कि जालसाज गरीब या कम-शिक्षित लोगों के बैंक खातों का इस्तेमाल ‘मनी म्यूल’ के तौर पर करते हैं।
एक मामले में मात्र 29 मिनट में ₹3 करोड़ एक खाते से निकाले गए। कई खाताधारकों को यह भी पता नहीं था कि उनके खातों का उपयोग धोखाधड़ी में किया गया है।

बैंक और एजेंसियों की निष्क्रियता बनी बड़ी चुनौती

हालांकि बैंकों का दावा है कि वे निगरानी करते हैं, लेकिन इस मामले में कई बैंक एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आए।
सिर्फ एक पीड़ित ऐसा पाया गया जिसने अपनी ठगी की रकम का 75% से अधिक वापस पाया है। बाकी पीड़ित 10% तक भी रिकवरी नहीं कर पाए।

एस. पी. ओसवाल केस: कैसे बचाई गई ₹5.27 करोड़ की रकम

नवंबर 2024 में, 82 वर्षीय उद्योगपति एस. पी. ओसवाल, जो वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन हैं, डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम के शिकार हुए।
उन्होंने ₹7 करोड़ HDFC और ICICI बैंक खातों से ट्रांसफर कर दिए। लेकिन दो दिन बाद जब संदेह हुआ, तो उन्होंने अपने फाइनेंस ऑफिसर से बात की और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

पंजाब पुलिस के जतिंदर सिंह और गृह मंत्रालय के Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C) की त्वरित कार्रवाई से पांच घंटे में खाते फ्रीज किए गए और दो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई।
अब तक ₹5.27 करोड़ की रिकवरी हो चुकी है—₹1.53 करोड़ मालदा (प. बंगाल) से और ₹3.74 करोड़ गुवाहाटी (असम) से। जांच में यह भी सामने आया कि गुवाहाटी की SBI शाखा से 10 दिनों में ₹9.5 करोड़ ट्रांजैक्ट किए गए।

मुख्य चुनौतियां

  • तेजी से पैसा निकालना: शिकायत होने से पहले ही कैश में पैसे निकाल लिए जाते हैं।
  • फर्जी पते वाले खाते: ट्रेस करना मुश्किल होता है।
  • जांच में देरी: एक दिन की भी देरी से करोड़ों गायब हो सकते हैं।