दुर्ग, 30 जून 2025।
मानसून की सक्रियता के साथ ही दुर्ग जिले में खरीफ फसलों की बुआई कार्य में तेजी आ गई है। मौसम अनुकूल होने से किसान खेतों में जुट गए हैं और कृषि कार्य जोर-शोर से जारी है। इस बीच किसानों को उर्वरकों की कोई कमी न हो, इसके लिए प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में भंडारण और वितरण कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है।
उप संचालक कृषि कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले में इस खरीफ सीजन के लिए कुल 78,027 मीट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरुद्ध अब तक 52,643 मीट्रिक टन का भंडारण और 39,979 मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है।
अब तक का उर्वरक भंडारण और वितरण (प्रमुख आंकड़े)
उर्वरक | भंडारण (मी. टन) | वितरण (मी. टन) |
---|---|---|
यूरिया | 20,642 | 16,862 |
सिंगल सुपर फास्फेट | 14,223 | 8,193 |
पोटाश | 5,283 | 3,815 |
डी.ए.पी. | 6,744 | 6,293 |
12:32:16 | 978 | 371 |
अन्य उर्वरक | 4,773 | 4,445 |
कुल | 52,643 | 39,979 |
डीएपी की सीमित उपलब्धता, विकल्पों पर जोर
वैश्विक कारणों से इस वर्ष डी.ए.पी. (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की कम आपूर्ति के चलते किसानों को वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। विभाग द्वारा मैदानी अमले को निर्देशित किया गया है कि वे किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) जैसे उर्वरकों के लाभ और उपयोगिता के बारे में जागरूक करें।
विशेषज्ञों के अनुसार डी.ए.पी. का अधिक उपयोग मृदा की अम्लीयता को बढ़ा देता है, जिससे दीर्घकालिक फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके विपरीत सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस के साथ सल्फर, कैल्शियम और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं, जो पौधों के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं।
वर्तमान में उपलब्ध उर्वरकों की स्थिति
वर्तमान में जिले की सहकारी समितियों और निजी प्रतिष्ठानों में कुल 7,905 मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध हैं, जिनका वितरण जारी है। इनमें शामिल हैं:
- यूरिया: 3,194 मी. टन
- सिंगल सुपर फास्फेट: 2,296 मी. टन
- पोटाश: 1,131 मी. टन
- डी.ए.पी.: 444 मी. टन
- 12:32:16: 607 मी. टन
- अन्य: 233 मी. टन
किसानों से अपील: करें अनुशंसित उर्वरकों का उपयोग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसा के अनुसार, किसानों से अपील की गई है कि वे बुआई के समय यूरिया + सिंगल सुपर फास्फेट का संयुक्त रूप से उपयोग करें, जिससे उनकी मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और फसल को समुचित पोषण मिल सके।
कृषि विभाग ने किसानों को आश्वस्त किया है कि समस्त खाद की उपलब्धता सुचारू है और वे अपनी नजदीकी सहकारी समिति या निजी विक्रेता से आवश्यकतानुसार खाद प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
दुर्ग जिले में खरीफ सीजन के प्रारंभिक चरण में ही उर्वरक आपूर्ति और वितरण की स्थिति संतोषजनक है। साथ ही किसानों को वैज्ञानिक आधार पर उर्वरकों के सही चयन के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। प्रशासन का यह प्रयास निश्चित रूप से स्थायी कृषि उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
