महासमुंद | 21 जून 2025।
छत्तीसगढ़ में रेत माफियाओं की बढ़ती सक्रियता और हाल ही में हुई गोलीकांड, चाकूबाजी और मारपीट की घटनाओं के बाद यह मुद्दा अब सियासी रंग ले चुका है। शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने राजनांदगांव और धमतरी के बाद महासमुंद जिले के बरबसपुर रेत घाट का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने भारी दल-बल के साथ मौके पर पहुंचकर रेत के पहाड़ जैसे भंडारण को देखा और राज्य सरकार व प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
“छत्तीसगढ़ में नहीं, राजस्थान जैसे हालात” – दीपक बैज
रेत घाट का मुआयना करते हुए बैज ने कहा:
“बरबसपुर में 50 एकड़ से अधिक क्षेत्र में अवैध रेत भंडारण किया गया है। लगता है जैसे हम छत्तीसगढ़ में नहीं, राजस्थान में आ गए हैं। यहां रेत के पहाड़ खड़े हैं और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। यह सरकार का जंगल राज है। इसमें सरकार और प्रशासन दोनों शामिल हैं।”
अनुज्ञा 8 हजार की, भंडारण 62 हजार टन घन मीटर
दीपक बैज ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बरबसपुर में केवल 3 व्यक्तियों को 8,000 टन घन मीटर रेत के भंडारण की अनुमति दी गई थी, लेकिन वास्तविकता में 62,000 टन घन मीटर से अधिक रेत का अवैध भंडारण किया गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को आगामी विधानसभा सत्र में उठाएगी।
खनिज विभाग की कार्रवाई: ₹2.18 करोड़ का जुर्माना
खनिज विभाग ने दो दिन पूर्व बरबसपुर में 43 निजी और 14 शासकीय भूमि पर अवैध भंडारण पर कार्रवाई करते हुए कुल ₹2.18 करोड़ का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही भंडारण अनुज्ञा को रद्द कर दिया गया है। सहायक खनिज अधिकारी ने जानकारी दी कि रेत की सुरक्षा के लिए गश्त की जा रही है और शीघ्र ही एक अस्थायी पुलिस चौकी स्थापित की जाएगी।
बड़ा सवाल: इतने बड़े अवैध भंडारण की जानकारी समय पर क्यों नहीं मिली?
इस प्रकरण ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर कैसे महानदी के किनारे हजारों टन रेत का भंडारण हो गया और प्रशासन या खनिज विभाग को भनक तक नहीं लगी? बरबसपुर तो सिर्फ एक उदाहरण है—महासमुंद जिले में 17 स्थानों पर रेत भंडारण की अनुमति दी गई है, वहां की स्थिति क्या होगी?
निष्कर्ष:
रेत माफिया पर अंकुश लगाने की तमाम कोशिशों के बावजूद छत्तीसगढ़ में अवैध रेत उत्खनन और भंडारण का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा। कांग्रेस द्वारा इसे मुद्दा बनाए जाने के बाद अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस पर व्यवस्थित और पारदर्शी कार्रवाई करते हैं या नहीं।
