रायपुर, 18 जून 2025:
छत्तीसगढ़ सरकार ने वनों में निवास करने वाले तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के मेधावी बच्चों के लिए शिक्षा का नया द्वार खोल दिया है। राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा संचालित छात्रवृत्ति योजना इन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में आर्थिक मदद देकर उनका भविष्य संवार रही है। वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने इसे राज्य सरकार की “शिक्षित और सशक्त छत्तीसगढ़” की दिशा में एक प्रभावी कदम बताया।
छात्रवृत्ति योजना का प्रारंभ और विस्तार
इस योजना की शुरुआत वर्ष 2013-14 में सीमित स्तर पर की गई थी, जिसमें पहले अनुमान था कि प्रत्येक वर्ष लगभग 100 छात्र-छात्राएं लाभान्वित होंगे। लेकिन समय के साथ योजना की पहुंच और प्रभाव अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है।
वर्ष 2019-20 से लेकर अब तक कुल 38,114 छात्र-छात्राओं को ₹41.79 करोड़ की छात्रवृत्ति राशि ऑनलाइन माध्यम से वितरित की जा चुकी है। यह आंकड़ा इस योजना की सफलता और जरूरत दोनों को दर्शाता है।
चार श्रेणियों में मिल रही मदद
इस छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत चार मुख्य श्रेणियां शामिल हैं:
- मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति
- प्रतिभाशाली बच्चों के लिए शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति
- व्यावसायिक कोर्स हेतु छात्रवृत्ति
- गैर-व्यावसायिक स्नातक कोर्स हेतु छात्रवृत्ति
इन चारों श्रेणियों में विद्यार्थियों को ₹2,500 से ₹25,000 तक की छात्रवृत्ति राशि प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य है कि छात्रों की शैक्षणिक यात्रा में कोई आर्थिक रुकावट न आए।
वन मंत्री ने दी योजना को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि वनवासी युवाओं को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि सरकार इस योजना को आने वाले वर्षों में और भी व्यापक स्तर पर लागू करेगी ताकि हर पात्र और होनहार छात्र तक इसका लाभ पहुंचाया जा सके।
शिक्षा के माध्यम से बदलाव की अलख
तेन्दूपत्ता संग्राहकों के परिवार आमतौर पर आर्थिक रूप से बेहद पिछड़े होते हैं और उनके बच्चों को उच्च शिक्षा की राह कठिन नजर आती है। लेकिन इस योजना के माध्यम से इन बच्चों को एक नई दिशा, उम्मीद और अवसर मिल रहा है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की यह पहल न केवल वनवासी अंचलों में शिक्षा के प्रसार की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन विद्यार्थियों के लिए भी आशा की किरण बनकर उभरी है जो कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ाई की इच्छा रखते हैं। छात्रवृत्ति योजना का यह सफल मॉडल देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है।
