नई दिल्ली, 16 जून 2025:
कुछ वर्षों पहले तक तकनीकी वस्त्रों (Technical Textiles) को कपड़ा उद्योग के हाशिए पर खड़ा एक सीमित, निवेशहीन और आयात-निर्भर क्षेत्र माना जाता था। लेकिन आज, यह क्षेत्र भारत के औद्योगिक परिवर्तन के केंद्र में आ चुका है। यह बदलाव किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत के विज़न, नीतिगत दूरदर्शिता और ठोस रणनीति का फल है।
चाहे कोविड-19 के दौरान पीपीई किट का उत्पादन हो, सेना के लिए सुरक्षात्मक गियर तैयार करना हो, या ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों के लिए महत्वपूर्ण वस्त्रों की आपूर्ति—टेक्निकल टेक्सटाइल्स ने राष्ट्र की सुरक्षा, चिकित्सा और औद्योगिक विकास में अपनी अहम भूमिका सिद्ध की है।

कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह का वक्तव्य
केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा, “भारत अब वैश्विक तकनीकी वस्त्र आंदोलन में केवल भागीदार नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में अग्रसर है। NTTM और PLI जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम नवाचार, रोजगार सृजन, निर्यात और आत्मनिर्भरता को सशक्त कर रहे हैं। यह तकनीकी वस्त्रों की शक्ति है, जो भारत के भविष्य को आकार दे रही है।”

नीचता से रणनीतिकता तक: नीतिगत बदलाव का परिणाम
राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM) की समीक्षा बैठक के दौरान ISRO के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने विशेष फाइबर जैसे कार्बन फाइबर, UHMWPE और नायलॉन 66 की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत को इन क्षेत्रों में स्वदेशी क्षमताएं विकसित करनी होंगी, ताकि हम वैज्ञानिक और रक्षा प्रगति में आत्मनिर्भर बन सकें।
प्रयोगशालाओं से लेकर सीमा पर तैनाती तक
हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए गए बैलिस्टिक गियर, केमिकल-बायोलॉजिकल सुरक्षा किट, कैमोफ्लाज फैब्रिक आदि तकनीकी वस्त्रों ने साबित कर दिया कि भारत अब केवल श्रम नहीं, विश्व स्तरीय सामग्री भी खुद तैयार कर रहा है।
क्या हैं तकनीकी वस्त्र?
तकनीकी वस्त्र सजावट या फैशन नहीं, बल्कि कार्यक्षमता और जीवन सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं। इसमें बुलेट-प्रूफ जैकेट, फ्लेम रिटार्डेंट यूनिफॉर्म, सर्जिकल गाउन, एंटी-बैक्टीरियल बेडशीट, जिओ ग्रिड, एग्रो टेक फैब्रिक आदि शामिल हैं। 2024 में भारत का तकनीकी वस्त्र बाजार 26 अरब डॉलर का था और यह 2030 तक 40–45 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
सरकार की पहल: NTTM और PLI स्कीम
सरकार ने तकनीकी वस्त्रों के लिए ₹12,000 करोड़ का आवंटन किया है, जिसमें प्रमुख योजनाएं हैं:
1. राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (NTTM):
- अब तक 168 उच्च प्रभाव वाली परियोजनाएं स्वीकृत
- ₹510 करोड़ का सरकारी समर्थन
- GREAT स्कीम के तहत 17 स्टार्टअप्स को सहायता
- 41 प्रमुख संस्थानों में 2,000+ विद्यार्थी प्रशिक्षण ले रहे
2. उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI):
- 80 में से 56.75% कंपनियां तकनीकी वस्त्रों में कार्यरत
- ₹7,343 करोड़ का निवेश, ₹4,648 करोड़ का टर्नओवर
- ₹538 करोड़ के निर्यात
- ₹54 करोड़ की प्रारंभिक प्रोत्साहन राशि वितरित
वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत
PLI स्कीम के अंतर्गत भारत में अब कार्बन फाइबर, ऑटो सेफ्टी फैब्रिक, ग्लास फाइबर जैसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों में निवेश हो रहा है। इससे भारत चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे वैश्विक टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हब के साथ प्रतिस्पर्धा में उतर रहा है।
प्रभाव और भविष्य
- घरेलू बाजार में 10% वार्षिक वृद्धि
- FY 2024-25 में तकनीकी वस्त्रों का निर्यात: USD 2.9 बिलियन
- अब तक का कुल निवेश: ₹5,218 करोड़
- रोजगार सृजन: 8,500+ लोग
- टर्नओवर: ₹3,242 करोड़, निर्यात: ₹217 करोड़
सततता और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
भारत की रणनीति में सतत विकास और पारंपरिक फाइबर का पुनर्परिभाषण प्रमुख है। अब जूट, भांग, रेशम, दूध से निकली फाइबर जैसी सामग्रियों का उपयोग बायोडिग्रेडेबल मेडिकल डिवाइसेज़, वाहनों के हल्के पार्ट्स, और 3D प्रिंटिंग जैसे क्षेत्रों में हो रहा है। साथ ही, ₹68,000 करोड़ मूल्य के 25 मशीनरी प्रोजेक्ट्स निर्माणाधीन हैं।
