इंटरनेट पर वायरल “Suzuki Robot Dog” निकला फर्जी: सोशल मीडिया यूज़र्स फिर हुए AI इमेज का शिकार

नई दिल्ली, 16 जून 2025: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक हैरान कर देने वाली खबर वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जापान की मशहूर ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी (Suzuki) ने एक ऐसा रोबोट डॉग लॉन्च किया है जिस पर इंसान बैठकर सवारी कर सकता है। इस रोबोट का नाम Moqba बताया गया है, जिसकी कीमत मात्र $3000 (लगभग ₹2.5 लाख) बताई जा रही है।

हालांकि, हकीकत इससे कोसों दूर है। यह “खबर” पूरी तरह फर्जी है और AI द्वारा जनरेट की गई इमेज के आधार पर बनाई गई है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।


क्या है वायरल दावे का सच?

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे TikTok, Instagram, Facebook, और यहां तक कि LinkedIn पर भी एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक ट्रांसफॉर्मर जैसे दिखने वाला रोबोट डॉग नजर आ रहा है। दावा किया गया कि सुजुकी ने इसे व्यक्तिगत परिवहन के लिए बनाया है और यह आने वाले समय में शहरी आवाजाही में क्रांति ला देगा।

दावे के अनुसार, “जापानी ऑटोमेकर सुजुकी ने हाल ही में व्यक्तिगत परिवहन में क्रांतिकारी नवाचार पेश किया है – Moqba नामक एक रोबोट डॉग जो इंसानों को छोटी दूरी तक ले जाने में सक्षम है। इसकी कीमत $3000 के करीब रखी गई है।”

लेकिन जब फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट 4thNation ने इस वायरल पोस्ट की जांच की, तो सामने आया कि यह पूरी तरह मनगढ़ंत है। वायरल तस्वीर AI (Generative AI) की सहायता से तैयार की गई है और इसे वास्तविकता से जोड़ने का कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं है।


Moqba क्या है?

असल में, MOQBA एक कॉन्सेप्ट था जिसे सुजुकी ने कुछ साल पहले पेश किया था। यह एक मोबिलिटी असिस्ट डिवाइस है, जो बुजुर्ग या शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों की आवाजाही में सहायता करता है। इसका डिज़ाइन जरूर चार पैरों वाला है और यह किसी हद तक रोबोट डॉग जैसा दिखता है, लेकिन यह ना तो कोई कमर्शियल प्रोडक्ट है, और ना ही इसकी कीमत या बिक्री को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा की गई है।

वहीं, कावासाकी (Kawasaki) ने भी इसी साल एक ऐसा रोबोटिक हॉर्स-कॉन्सेप्ट शोकेस किया था, लेकिन वह भी केवल एक प्रोटोटाइप है, कोई बाजार में उपलब्ध प्रोडक्ट नहीं।


AI-generated Fake News का बढ़ता खतरा

यह घटना एक बार फिर से इस बात को रेखांकित करती है कि AI द्वारा बनाई गई फेक इमेज और न्यूज किस तरह से इंटरनेट यूज़र्स को भ्रमित कर रही हैं। इंटरनेट पर यह सिलसिला ठीक वैसा ही है जैसा कि Adobe Photoshop के शुरुआती दौर में देखा गया था, जब लोग एडिट की गई तस्वीरों को असली मान बैठते थे।

विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे Generative AI टूल्स का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे फेक कंटेंट भी अधिक यथार्थवादी बनता जा रहा है, जिससे आम लोगों को सच्चाई और झूठ में फर्क करना मुश्किल होता जा रहा है।


निष्कर्ष

यह वायरल “Suzuki Robot Dog” की कहानी एक बार फिर हमें इस सच्चाई से रूबरू कराती है कि हम डिजिटल युग में जहां तक पहुंच चुके हैं, वहां जानकारी का स्रोत और प्रमाणिकता पहले से कहीं ज्यादा मायने रखती है।

जब तक इंटरनेट पर कंटेंट को बिना जांचे-परखे शेयर किया जाएगा, तब तक ऐसे झूठ बार-बार हमारे सामने आते रहेंगे। और जैसा कि Snopes की रिपोर्ट में भी कहा गया – “नकली खबरें लोगों को सच से ज्यादा तेज़ी से प्रभावित करती हैं।”

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