छत्तीसगढ़ बीजापुर में सीआरपीएफ कैंप पर माओवादी हमले में एनआईए ने 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, 16 फरार

जगदलपुर, 15 जून 2025:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 16 जनवरी 2024 को सीआरपीएफ कैंप पर हुए माओवादी हमले के मामले में शुक्रवार को विशेष एनआईए अदालत में 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इनमें से 16 आरोपी अभी भी फरार हैं, जबकि एक आरोपी सोड़ी बामन उर्फ देवल की गिरफ्तारी हो चुकी है।

यह मामला धर्मवरम में सीआरपीएफ के नए कैंप और दो समीपवर्ती सीआरपीएफ/कोबरा (CoBRA) कैंपों पर हुए हमले से जुड़ा है। ये कैंप चिंतावागु नदी के उत्तरी तट और पामेड़ गांव, जो बीजापुर का सबसे दक्षिणी क्षेत्र है, में स्थित हैं। यह क्षेत्र पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन संख्या 01 का गढ़ माना जाता था, जो भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सशस्त्र संगठन है।

एनआईए की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने युवाओं की भर्ती कर उन्हें भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित किया। चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।

एनआईए ने बताया कि हमले में शामिल माओवादी 250-300 की संख्या में भारी हथियारों से लैस थे, जिनमें बैरेल ग्रेनेड लॉन्चर (BGL) और स्वचालित हथियार शामिल थे। उनका उद्देश्य सीआरपीएफ जवानों के हथियारों और अन्य संसाधनों को लूटना था। इस हमले में 12 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे।

21 नामजद और 250-300 अज्ञात माओवादी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। फरार आरोपियों में 2 केंद्रीय समिति सदस्य (CCM), 2 विशेष राज्य/क्षेत्रीय समिति सदस्य (SZC/SCM) और तेलंगाना राज्य समिति एवं पामेड़ क्षेत्र समिति के शीर्ष कैडर शामिल हैं।

एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आरोपियों ने कानूनविरुद्ध षड्यंत्र रचते हुए डमी प्रशिक्षण शिविरों की स्थापना, गुप्त मीटिंग्स, और प्रेरणात्मक भाषणों के जरिए हमले की योजना बनाई थी। उन्होंने कैंपों का रैकी कर अंतिम हमले को अंजाम दिया।

बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इन सीआरपीएफ कैंपों की सबसे बड़ी उपलब्धि चिंतावागु नदी पर पुल निर्माण में सहायक होना रहा, जिससे पामेड़ को बीजापुर मुख्यालय से जोड़ने वाली नागरिक परिवहन सुविधा शुरू हुई। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में अब तक 90 से अधिक जवानों की शहादत हो चुकी है।

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