दुर्ग, 05 जून 2025।
जिला महिला एवं बाल विकास विभाग, दुर्ग द्वारा चलाए जा रहे कुपोषण मुक्ति अभियान के सकारात्मक परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर दिखाई देने लगे हैं। ग्राम गनियारी की 2 वर्ष 6 माह की बालिका कृषा ठाकुर की कहानी इस अभियान की सफलता का प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है। कृषा अब कुपोषण से बाहर आकर सुपोषण की श्रेणी में पहुँच गई है।
पूर्व में कृषा मध्यम कुपोषित श्रेणी में थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मिथिलेश देवदास द्वारा की गई गृहभेंट में यह जानकारी सामने आई कि कृषा को बाजार के चिप्स, कुरकुरे जैसे पैकेट वाले खाद्य पदार्थ खाने की आदत थी, जिससे उसका वजन नहीं बढ़ रहा था। कृषा को सामान्य वजन तक लाने के लिए 800 ग्राम वजन बढ़ाना आवश्यक था।
कार्यकर्ता द्वारा परिवार को स्वस्थ एवं पौष्टिक आहार की जानकारी दी गई। घर का बना खाना, अंकुरित अनाज, मौसमी फल, चना, मूंगफली और रेडी-टू-ईट खाद्य अपनाने की सलाह दी गई। पर्यवेक्षक शशि रैदास ने डाइट चार्ट समझाकर नियमित पालन करने को कहा। कृषा को बाल संदर्भ योजना का लाभ भी दिलाया गया और समय पर दवाएं दी गईं।
लगातार चार माह की मेहनत और निगरानी के परिणामस्वरूप कृषा का वजन 9.2 किलोग्राम से बढ़कर 10.2 किलोग्राम हो गया। अब वह सामान्य श्रेणी में आ गई है। उसकी मां ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और विभाग का आभार जताया तथा अपने अनुभव गाँव की अन्य माताओं से साझा किया।
कृषा की इस कहानी से प्रेरणा लेकर मितांशु साहू नामक एक अन्य कुपोषित बालक की मां ने भी यही उपाय अपनाए हैं। मितांशु को सामान्य स्थिति में आने के लिए अब केवल 200 ग्राम वजन बढ़ाना बाकी है।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री अजय कुमार साहू ने बताया कि कुपोषण से निपटने के लिए विभाग द्वारा नियमित गृहभेंट, पोषण शिक्षा और जन-जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। अब लोगों में यह समझ विकसित हो रही है कि स्वस्थ खानपान ही कुपोषण से मुक्ति का सबसे बड़ा उपाय है।
