रायपुर, 4 जून 2025 — छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था के युक्तियुक्तकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य शासन के दिशा-निर्देशों के तहत 16 जिलों में 4456 अतिशेष सहायक शिक्षकों, प्रधान पाठकों और व्याख्याताओं की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, और इन्हें नवीन पदस्थापना दे दी गई है।
कोरबा, सुकमा, महासमुंद, गरियाबंद, बलौदाबाजार, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, सक्ति, जशपुर, मुंगेली, खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई, दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, बीजापुर और सूरजपुर जैसे जिलों में यह प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। शेष जिलों में कार्यवाही जारी है। वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों की काउंसलिंग की गई, जिसमें उन्होंने रिक्त पदों पर अपनी पसंद के विद्यालयों का चयन किया।
केवल 166 स्कूलों का होगा समायोजन
राज्य के 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 स्कूलों का समायोजन किया जा रहा है, जिनमें से 133 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जहाँ छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के भीतर ही दूसरा विद्यालय स्थित है। इसी प्रकार 33 शहरी स्कूलों में दर्ज संख्या 30 से कम है और वे भी 500 मीटर के भीतर अन्य विद्यालयों के नजदीक हैं।
शेष 10,297 स्कूल यथावत रूप से संचालित रहेंगे, केवल उनमें प्रशासनिक और शैक्षणिक समायोजन किया जाएगा। समायोजित स्कूल भवनों का उपयोग अन्य शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और जरूरत अनुसार वहां शिक्षक भी नियुक्त रहेंगे।
शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सरकार प्रतिबद्ध
राज्य सरकार का यह निर्णय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में लिया गया संरचनात्मक और व्यावहारिक निर्णय है। इसका मकसद यह है कि जहां अधिक आवश्यकता हो, वहां शिक्षकों और संसाधनों का कुशल उपयोग हो सके। छोटे स्कूलों को बड़े और बेहतर सुविधायुक्त स्कूलों में समायोजित करने से छात्रों को विशेषज्ञ शिक्षक, लाइब्रेरी, लैब, कंप्यूटर जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी।
छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग का मानना है कि यह केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जिससे राज्य की भावी पीढ़ी को मजबूत आधार मिलेगा।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है, और इसके लिए शिक्षकों की तैनाती सिर्फ संख्या नहीं, आवश्यकता के आधार पर की जा रही है।
