रायपुर, 2 जून 2025: राज्य जीएसटी विभाग जगदलपुर की टीम ने 31 मई को नारायणपुर जिले में स्थित मेसर्स अरिहंत स्टील के व्यवसाय स्थल पर छापेमारी की। जांच के दौरान यह पाया गया कि स्थल पर न तो किसी प्रकार की लेखा पुस्तिकाएं थीं और न ही कोई लेखा सॉफ्टवेयर (जैसे टैली) का उपयोग किया जा रहा था, जो कि जीएसटी के नियमों के अनुसार अनिवार्य है।
व्यवसायी ने यह स्वीकार किया कि सभी बिल उनके कर सलाहकार द्वारा बनाए जाते हैं, जिससे कर अपवंचन की आशंका और अधिक बढ़ गई। विभागीय जांच में सामने आया कि वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक अरिहंत स्टील का कुल टर्नओवर 16 करोड़ रुपये से अधिक रहा, लेकिन इस पर केवल 43 हजार रुपये का नगद कर भुगतान किया गया है।
ई-वे बिलों की जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक 8.21 करोड़ रुपये की सामग्री की खरीदी तो की गई, लेकिन उसके लिए कोई ई-वे बिल जारी नहीं किया गया। इससे संदेह होता है कि सामग्री की बिक्री बिना उचित बिलिंग के आम उपभोक्ताओं को की गई, जबकि कागजों में उसे अन्य व्यवसायियों को दिखाकर बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ उठाया गया।
जांच के दौरान व्यवसायी ने अपनी त्रुटियों को स्वीकार करते हुए 10 लाख रुपये का स्वैच्छिक कर भुगतान करने की इच्छा जाहिर की। लेकिन विभाग ने स्टॉक (जिसकी अनुमानित कीमत 90 लाख रुपये है) के समर्थन में लेखा दस्तावेज मांगें, जो व्यवसायी प्रस्तुत नहीं कर सका।
इतना ही नहीं, व्यवसायी ने कुछ परिचित मीडियाकर्मियों एवं अन्य व्यापारियों को मौके पर बुलाकर जांच टीम पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस असहयोगात्मक रवैये के चलते और कर अपवंचन की विस्तृत जांच को ध्यान में रखते हुए स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में व्यवसाय स्थल को आगामी आदेश तक सील कर दिया गया है।
