जंगल में मौत का सन्नाटा: गरियाबंद मुठभेड़ में ढेर हुआ खूंखार नक्सली साकेत

गरियाबंद (छत्तीसगढ़), 3 मई – छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शुक्रवार शाम मोतीपानी के घने जंगलों में एक फिल्मी मुठभेड़ सरीखा दृश्य सामने आया, जब सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण गोलाबारी हुई। इस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने एक कुख्यात और खतरनाक नक्सली साकेत उर्फ योगेश उर्फ आयतु को मार गिराया, जो डीबीसी (डिवीजन बॉडी कॉम्बैट) का सदस्य और शीर्ष माओवादी नेताओं का खासमखास अंगरक्षक था।

कौन था साकेत?

पुलिस सूत्रों के अनुसार, साकेत बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र का निवासी था और माओवादी संगठन का बेहद भरोसेमंद और प्रशिक्षित सदस्य था। उसे बड़े नक्सली नेताओं की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था। संगठन में उसकी भूमिका सिर्फ एक लड़ाके की नहीं, बल्कि रणनीतिक सहयोगी की थी।

कैसे हुआ एनकाउंटर?

सुरक्षा बलों की टीम शुक्रवार को सर्च ऑपरेशन पर निकली थी, तभी मोतीपानी के जंगल में साकेत अपने साथियों के साथ घात लगाए बैठा था। उसका मकसद सुरक्षा बलों पर हमला कर उनके हथियार लूटना था। लेकिन, सुरक्षाबलों की सतर्कता और रणनीति के चलते यह योजना धरी रह गई। जवाबी कार्रवाई में करीब 40 मिनट तक मुठभेड़ चली और अंततः साकेत को मार गिराया गया।

क्या-क्या मिला घटनास्थल से?

घटनास्थल से सुरक्षाबलों ने एक एसएलआर राइफल, बम, कारतूस, नक्सली साहित्य, और अन्य जरूरी सामान बरामद किया है। अन्य नक्सली अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले।

क्या है इसका मतलब?

साकेत की मौत नक्सल संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वह संगठन की योजनाओं और रणनीतियों से अच्छी तरह वाकिफ था। उसकी मौत से नक्सलियों की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा है।

अब यह साफ है कि सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और मजबूत खुफिया तंत्र के सामने नक्सलियों की जमीन खिसक रही है। लेकिन मोतीपानी जंगल की खामोशी के पीछे अभी भी कई राज़ छिपे हैं, जिन्हें सामने लाना बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *