कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित वेदांता समूह के अधीन भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को) पर अवैध अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई के गंभीर आरोप लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट की सशक्त समिति (CEC) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बाल्को ने 148 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से पेड़ों की कटाई की, जिसमें 97 एकड़ सरकारी वन भूमि शामिल है। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए की गई, जिसमें पहले ही इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई गई थी।
2005 से जारी विवाद, अदालत में दायर की गई अवमानना याचिका
यह विवाद 2005 से चला आ रहा है, जब पहली बार आरोप लगे कि बाल्को ने वन भूमि पर अवैध कब्जा कर औद्योगिक परियोजनाओं, खासकर एक पावर प्लांट के निर्माण के लिए उपयोग किया। 2008 में भूपेश बघेल और सार्थक फाउंडेशन द्वारा दायर याचिका के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी थी।

बावजूद इसके, बाद में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई के आरोप सामने आए। इसी दौरान, प्लांट निर्माण स्थल पर एक चिमनी गिरने से कई मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। इसके बाद, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बाल्को, इसके मालिक अनिल अग्रवाल और अन्य के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की।
बाल्को पर उपग्रह अध्ययन और वन विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
2011 में एक रिपोर्ट में भी इस मुद्दे को उजागर किया गया था, जिसमें उपग्रह चित्रों के आधार पर बाल्को परिसर के भीतर वनों के लगातार घटने की जानकारी दी गई थी। मार्च 2008 से जून 2010 के बीच 85 एकड़ वन क्षेत्र नष्ट हो गया था, जिसमें से 55 एकड़ भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में “बड़े झाड़ का जंगल” यानी सरकारी वन क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था।
2018 में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) की एक टीम ने दौरा कर यह पाया कि बाल्को ने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद 97 एकड़ वन भूमि और अतिरिक्त 50 एकड़ क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की थी।
CEC रिपोर्ट में कड़ी कार्रवाई की सिफारिश
18 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट की सशक्त समिति (CEC) ने अपनी 127 पन्नों की रिपोर्ट में बाल्को पर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ने बिना उचित वन अनुमति के 148 एकड़ वन भूमि पर अवैध रूप से कार्य किया। समिति ने सिफारिश की है कि बाल्को को प्रतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation) और अन्य पर्यावरणीय सुधारों के लिए दंडित किया जाए।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि छत्तीसगढ़ में राजस्व वन भूमि का प्रबंधन वन संरक्षण अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप नहीं किया जा रहा है। इस स्थिति से राज्य सरकार के लिए नए कानूनी और प्रशासनिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
बाल्को का पक्ष अभी तक नहीं आया
याचिकाकर्ता के वकील सुदीप श्रीवास्तव ने इस मामले में तत्काल सख्त कार्रवाई और भारी जुर्माने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह वन भूमि पर अतिक्रमण का एक पुराना मुद्दा है, जिस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच, बाल्को से उनकी प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
