छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की भारी कमी, 20,408 की आबादी पर एक डॉक्टर

रायपुर: छत्तीसगढ़ की 3 करोड़ से ज्यादा आबादी के इलाज के लिए महज 1470 डॉक्टर उपलब्ध हैं, यानी 20,408 की आबादी पर एक डॉक्टर। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रदेश में 22,000 से ज्यादा डॉक्टर होने चाहिए। मौजूदा डॉक्टरों की संख्या मानक से 15 गुना कम है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति कितनी खराब होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज नर्सों और कंपाउंडरों के भरोसे हैं, जबकि जिला अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं।

सिर्फ राजधानी में एडवांस इलाज उपलब्ध

राज्य के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं की कमी के चलते, मरीजों को रायपुर स्थित अंबेडकर अस्पताल और डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर किया जाता है। बिलासपुर और जगदलपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बने जरूर हैं, लेकिन डॉक्टर और आवश्यक स्टाफ की कमी के कारण सेवाएं पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी हैं। बिलासपुर के अस्पताल में कैथलैब यूनिट पूरी तरह तैयार नहीं है, जिससे हार्ट की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी संभव नहीं हो पा रही है।

डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की कवायद

फिलहाल डॉक्टरों के 2,000 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पद भरे नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में 10 सरकारी और 5 निजी मेडिकल कॉलेजों के चलते हर साल 1,000 से ज्यादा नए डॉक्टर निकल रहे हैं। अगले तीन वर्षों में यह संख्या 2,000 तक पहुंच सकती है, लेकिन अधिकतर डॉक्टर निजी अस्पतालों में जाने को प्राथमिकता देंगे

हर साल 65 लाख से ज्यादा मरीज ओपीडी में

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में हर साल 65 से 70 लाख मरीजों का इलाज हो रहा है। 2023-24 में 20 लाख पुराने मरीज भी अस्पतालों में आए। लेकिन मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के बावजूद, डॉक्टरों की संख्या उसी अनुपात में नहीं बढ़ रही है। डॉक्टरों पर वर्कलोड बढ़ रहा है, जिससे वे मरीजों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय

रिटायर्ड डीएमई डॉ. विष्णु दत्त के अनुसार, “डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार, प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बेहद कम है। हालांकि, नए मेडिकल कॉलेजों में यूजी और पीजी सीटें बढ़ने से आने वाले वर्षों में यह कमी कुछ हद तक पूरी हो सकती है। लेकिन जिला अस्पतालों को भी मजबूत बनाए जाने की जरूरत है, ताकि मेडिकल कॉलेजों पर मरीजों का दबाव कम हो।”

निष्कर्ष

प्रदेश में डॉक्टरों की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं गंभीर स्थिति में हैं। सरकार को जिला अस्पतालों को मजबूत करने और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम करने की जरूरत है

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