भू-अधिग्रहण घोटाले से घिरी भारतमाला परियोजना, छत्तीसगढ़ में मचा सियासी भूचाल

रायपुर, 16 मार्च: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस, दोनों ने परियोजना में बड़े पैमाने पर घोटाले की संभावना को स्वीकार किया है।

कैसे उजागर हुआ घोटाला?

परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे में भूमि अधिग्रहण मुआवजा वितरण में अनियमितताओं का मामला तब सामने आया, जब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की सतर्कता इकाई की रिपोर्ट मिली। इसके बाद गडकरी ने छत्तीसगढ़ सरकार को अलर्ट किया।

CBI जांच की मांग, लेकिन सरकार ने किया इनकार

विपक्ष के नेता चरणदास महंत ने इस मामले की सीबीआई (CBI) जांच की मांग उठाई, लेकिन राज्य सरकार ने इसे ठुकरा दिया। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को जिम्मेदारी सौंपी है।

2021 में हुआ था भूमि मुआवजा वितरण

यह भूमि मुआवजा वितरण 2021 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था। उस समय बीजेपी नेता चंद्रशेखर साहू और प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) में शिकायत दर्ज कराई थी।

₹350 करोड़ के घोटाले का आरोप, 5 अधिकारी निलंबित

महंत का दावा है कि ₹350 करोड़ से अधिक की हेराफेरी की गई है। मामले में एक अतिरिक्त कलेक्टर और एक डिप्टी कलेक्टर सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, महंत का कहना है कि “सिर्फ अधिकारियों को निलंबित करना पर्याप्त नहीं है। पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआई जांच जरूरी है।”

भारतमाला परियोजना की प्रगति

हाल ही में लोकसभा में लिखित जवाब में गडकरी ने जानकारी दी कि भारतमाला परियोजना के तहत स्वीकृत 26,425 किमी में से 19,826 किमी सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है।

अब देखना होगा कि EOW की जांच से घोटाले की सच्चाई सामने आती है या नहीं।

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