छत्तीसगढ़ विधानसभा में धान खरीदी पर हंगामा, कांग्रेस विधायकों का निलंबन

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में मंगलवार को कांग्रेस ने धान खरीदी के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा किसानों से खरीदे गए अतिरिक्त धान को खुले बाजार में बेचने से राज्य के खजाने को भारी नुकसान होगा। इस पर सदन में स्थगन प्रस्ताव लाने की कोशिश की गई, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इसे अस्वीकार करने के बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और आसन के समीप आ गए, जिसके चलते उन्हें नियमों के तहत निलंबित कर दिया गया।

कांग्रेस के आरोप – किसानों को नुकसान, खजाने को घाटा

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने शून्यकाल के दौरान कहा कि राज्य सरकार ने 149.24 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है, लेकिन केंद्र सरकार केवल 70 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की अनुमति दे रही है। इससे 40 लाख मीट्रिक टन धान अधिशेष रह जाएगा, जिसे सरकार खुले बाजार में नीलामी के माध्यम से बेचने जा रही है।

महंत ने सवाल उठाया कि जब पंजाब से केंद्र सरकार 172 लाख मीट्रिक टन धान खरीद सकती है, तो फिर छत्तीसगढ़ के धान को क्यों नहीं लिया जा रहा? कांग्रेस ने दावा किया कि खुले बाजार में 40 लाख मीट्रिक टन धान बेचने से राज्य को 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जिसका कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया गया है।

राज्य सरकार का जवाब – किसानों को पूरा भुगतान किया गया

कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि 2024-25 में रिकॉर्ड 14,09,24,710 टन धान की खरीद की गई है। केंद्र सरकार ने 70 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में लेने की मंजूरी दी है, जिसमें से 54 लाख टन भारतीय खाद्य निगम (FCI) और 16 लाख टन नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खरीदा जाएगा।

मंत्री ने बताया कि किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की कीमत का भुगतान किया गया है, जिसमें 46,277 करोड़ रुपये की राशि शामिल है। इसके तहत एमएसपी और कृषक उन्नति योजना के तहत दी जाने वाली लागत सहायता भी जोड़ी गई है।

धान की नीलामी का फैसला सही – सरकार

सरकार ने स्पष्ट किया कि धान के अतिरिक्त भंडारण को ध्यान में रखते हुए 40 लाख मीट्रिक टन धान को नीलामी के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया गया है। मंत्री ने कहा कि इससे पहले भी 2020-21 में 8.96 लाख टन धान नीलामी के माध्यम से बेचा गया था।

विधानसभा में सियासी घमासान जारी

इस पूरे घटनाक्रम के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस इसे किसानों के साथ अन्याय बता रही है, जबकि सरकार का कहना है कि ‘मोदी जी की गारंटी’ के तहत किसानों को पूरा भुगतान किया गया है और धान का उचित प्रबंधन किया जा रहा है।

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