रायपुर: देशभर में लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) के तत्वावधान में 8 मार्च 2025 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। यह वर्ष 2025 की पहली नेशनल लोक अदालत होगी, जिसमें लाखों मामलों को आपसी सुलह (राजीनामा) के जरिए सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (सालसा), बिलासपुर के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिला एवं व्यवहार न्यायालयों में भी यह लोक अदालत आयोजित की जाएगी।
किन मामलों का होगा निपटारा?
लोक अदालत में निम्नलिखित मामलों का निपटारा किया जाएगा:
✔ मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण
✔ धारा 138 एनआई एक्ट (चेक बाउंस)
✔ धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता (गुजारा भत्ता)
✔ पारिवारिक विवाद (मेट्रोमोनियल डिस्प्यूट्स)
✔ जल कर, संपत्ति कर, राजस्व संबंधी प्रकरण
✔ ट्रैफिक चालान और भाड़ा नियंत्रण से जुड़े मामले
✔ बैंक और विद्युत विभाग से जुड़े विवाद
✔ खातेदारों और वारिसों के बीच बंटवारे के मामले
✔ दूरसंचार विभाग, नगर निगम और नगर पालिका से जुड़ी वसूली के मामले

कैसे होगा मामलों का निपटारा?
लोक अदालत के लिए खंडपीठों का गठन किया जाएगा, जो मामलों की सुनवाई कर आपसी सहमति (राजीनामा) के आधार पर समाधान निकालेंगी। इस पहल का उद्देश्य अदालतों में लंबित मामलों को कम करना और प्रभावित पक्षों को त्वरित एवं सुलभ न्याय प्रदान करना है।
नेशनल लोक अदालत क्यों है खास?
✔ मामलों का शीघ्र समाधान: परंपरागत मुकदमों की तुलना में लोक अदालत में मामलों का तेजी से निपटारा होता है।
✔ कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं: पक्षकारों को कोई अदालती फीस नहीं देनी पड़ती, और यदि कोई फीस पहले जमा की गई हो तो उसे वापस कर दिया जाता है।
✔ आपसी सुलह से विवाद खत्म: लोक अदालत में राजीनामे के जरिए विवाद निपटाए जाते हैं, जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट रहते हैं।
✔ फैसले के खिलाफ अपील नहीं: लोक अदालत में हुआ फैसला अंतिम और बाध्यकारी होता है, जिससे बार-बार अपील की जरूरत नहीं पड़ती।
कैसे करें आवेदन?
यदि कोई व्यक्ति अपने मुकदमे को लोक अदालत के माध्यम से निपटाना चाहता है, तो वह अपने वकील या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) से संपर्क कर सकता है। प्री-लिटिगेशन स्तर पर भी मामले सुलझाए जा सकते हैं, यानी मुकदमा दायर करने से पहले ही विवाद को सुलझाने का मौका मिलेगा।
क्या कहती है न्यायपालिका?
न्यायपालिका का मानना है कि नेशनल लोक अदालत न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। इससे न केवल अदालतों का बोझ कम होता है, बल्कि न्याय पाने की प्रक्रिया भी सरल और प्रभावी बनती है।
8 मार्च की लोक अदालत में अपने मामलों का निपटारा कराएं और त्वरित न्याय का लाभ उठाएं!
