नई दिल्ली में मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन के बीच छत्तीसगढ़ में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि, जल संसाधन, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन में नवाचारों को बढ़ावा देने पर गहन चर्चा हुई। इस बैठक में सैटेलाइट आधारित सर्वेक्षण, भू-मानचित्रण (Geo-Mapping), स्मार्ट एग्रीकल्चर और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया।
छत्तीसगढ़ में स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इसरो के सहयोग से राज्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नई तकनीकों को अपनाया जाएगा, जिससे किसानों को सटीक जानकारी मिलेगी और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी। बाढ़ और सूखे की भविष्यवाणी, जल संसाधनों का सटीक आकलन, और पर्यावरण संरक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ का दौरा करेगा इसरो का विशेषज्ञ दल
बैठक में यह तय किया गया कि इसरो का एक विशेषज्ञ दल जल्द ही छत्तीसगढ़ का दौरा करेगा और सैटेलाइट इमेजरी, जीआईएस (GIS) तकनीक और डेटा एनालिसिस के माध्यम से राज्य का विस्तृत अध्ययन करेगा। इसके तहत—
✅ मृदा स्वास्थ्य विश्लेषण
✅ जल स्रोतों का प्रभावी प्रबंधन
✅ प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व-चेतावनी प्रणाली
✅ वन क्षेत्रों की निगरानी और अवैध कटाई की रोकथाम
तकनीकी विकास से छत्तीसगढ़ को मिलेगा लाभ
इसरो की स्पेस टेक्नोलॉजी का लाभ न केवल कृषि और जल संसाधनों के लिए बल्कि आपदा प्रबंधन, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग, नगर नियोजन और परिवहन व्यवस्था के लिए भी उठाया जाएगा। वन संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में अनुसंधान और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इसरो और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच साझेदारी से राज्य में तकनीकी नवाचारों को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। युवा वैज्ञानिकों को इस पहल में जोड़ा जाएगा, जिससे अनुसंधान और स्टार्टअप सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के इस नए युग में इसरो का सहयोग छत्तीसगढ़ को भविष्य की तकनीकों से सशक्त बनाएगा, जिससे कृषि, पर्यावरण और जल प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे।
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