रेलवे नियमों की अनदेखी पर कोर्ट ने उठाए सवाल, जवाब तलब
दिल्ली हाईकोर्ट ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) पर हाल ही में हुई भगदड़ के मद्देनजर रेल मंत्रालय, भारतीय रेलवे और रेलवे बोर्ड से जवाब मांगा है। इस भगदड़ में कम से कम 18 लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद रेलवे में सुरक्षा उपायों को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
“टिकट की संख्या और सीटों की क्षमता में तालमेल क्यों नहीं?”
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने रेलवे की टिकट बिक्री प्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने पूछा,
“जब एक कोच में यात्रियों की अधिकतम संख्या तय है, तो उससे अधिक टिकट क्यों बेचे जाते हैं?”
कोर्ट ने रेलवे अधिनियम की धारा 57 का हवाला देते हुए कहा कि प्रशासन को प्रत्येक डिब्बे में यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करनी चाहिए।
भगदड़ पर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका
यह याचिका अर्थ विधि नामक संगठन ने एडवोकेट आदित्य त्रिवेदी के माध्यम से दायर की थी। इसमें रेलवे प्रबंधन की लापरवाही और अव्यवस्था को हादसे की वजह बताया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि रेलवे ने अपने ही नियमों का पालन किया होता, तो यह घटना टल सकती थी।
रेलवे बोर्ड को हाईकोर्ट का निर्देश
हाईकोर्ट ने रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे पर शीर्ष स्तर पर विचार करें और एक संक्षिप्त हलफनामा दायर करें, जिसमें यह बताया जाए कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
रेलवे ने मानी चूक, लेकिन नई गाइडलाइंस पर दिया जोर
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो भारतीय रेलवे की ओर से पेश हुए, ने कहा कि
“हम कानून का पालन करने के लिए बाध्य हैं, इसलिए इसके लिए किसी विशेष आदेश की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ गरीब यात्री बिना टिकट स्टेशन पर पहुंच जाते हैं, जिससे अधिक भीड़ होती है।
रेलवे ने क्या कहा?
- रेलवे पहले ही अनारक्षित टिकट जारी करने के नियमों को लेकर सर्कुलर जारी कर चुका है।
- अत्यधिक भीड़ के कारण अनपेक्षित हालात बन सकते हैं, लेकिन रेलवे इस पर विचार करेगा।
- हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को पहले ही मुआवजा दिया जा चुका है।
कोर्ट का जवाब: “आपके कदम अपर्याप्त हो सकते हैं”
हाईकोर्ट ने रेलवे की दलीलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि रेलवे कदम तो उठा रहा है, लेकिन वे शायद पर्याप्त नहीं हैं।
अगली सुनवाई 26 मार्च को
कोर्ट ने रेलवे को निर्देश दिया कि वह अपने उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी एक हलफनामे के रूप में प्रस्तुत करे। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।
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