गुजरात निवासी युवक को शादी कराने का झांसा देकर रकम वसूल किए जाने के मामले में आरोपी एक युवती को पुलिस द्वारा अपनी गिरफ्त में ले लिया गया है। इस मामले के अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। युवती को बुधवार को न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। जहां से उसे न्यायायिक अभिरक्षा के तहत जेल भेज दिया गया है। आरोपी के खिलाफ दफा 420, 467, 468 तथा 471 के तहत कार्रवाई की गई है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला न्यायालय के आदेश पर मोहन नगर पुलिस द्वारा मैरिज ब्यूरों के संचालकों के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी के अपराध से संबंधित है। इस मामले की शिकायत पूर्व में पीडि़त द्वारा पुलिस में की गई थी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया था। जिस पर पीडि़त ने न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय के आदेश पर पुलिस द्वारा आरोपी दो युवतियों के साथ एक युवक के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध किया गया था। इस मामले की आरोपी अंकिता को पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपी रूबिना सिद्दिकी व किशोर साहू की तलाश पुलिस कर रही हैं
यह है मामला
मोहन नगर थाना क्षेत्र में संचालित मेरा साथ मैरिज ब्यूरों तथा साथी प्वांइट मैरिज ब्यूरों के संचालकों ने इस वारदात को अंजाम दिया था। इन मैरिज ब्यूरों द्वारा प्रसारित विज्ञापन से प्रभावित होकर गुजरात के गांधी नगर निवासी महेन्द्र पटेल (36 वर्ष) ठगी का शिकार हुआ था। महेन्द्र को रामनगर (चिखली, राजनांदगांव) निवासी मेरा साथ ब्यूरों की संचालिका रूबिना सिद्धिकी द्वारा अच्छी पढ़ी-लिखी युवती की तलाश कर उसका विवाह कराने का आश्वासन दिया था। इसके लिए मैरिज ब्यूरों में 3 हजार रु. की रकम जमा कर वर्ष 2017 में रजिस्टे्रशन कराया गया। जिसके बाद रूबिना से संपर्क करने वह उसे सिंधिया नगर स्थित साथी प्वाइंट मैरिज ब्यूरो में ले गई, जहां फिर से 3 हजार रु. सदस्यता शुल्क जमा कराया गया। इस मैरिज ब्यूरों की संचालिका अंकिता है। जिसके बाद किसी न किसी बहाने महेन्द्र से रकम की मांग कर 28 हजार रु. की रकम वसूल कर ली गई। इसमें मैरिज ब्यूरों के एक अन्य संचालक किशोर साहू के नाम से भी पीडि़त ने रकम जमा की थी। किशोर साहू को गुरुद्वारा रोड़ स्थित देशमुख भवन में संचालित मेरा साथ मैरिज ब्यूरों का महिला संचालकों ने मालिक बताया था। ठगी की इस वारदात की शिकायत पीडि़त ने मोहन नगर थाना में की थी, जिस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होने पर न्यायालय की शरण ली गई थी। जिसके बाद न्यायालय के आदेश पर मजबूरन पुलिस को अपराध पंजीबद्ध करना पड़ा था।