बिलासपुर: पार्षद निधि की अंतिम किस्त पर गरमाई सियासत, चुनावी माहौल में बढ़ा असमंजस

बिलासपुर। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा जारी की गई पार्षद निधि की अंतिम किस्त पर सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है। सत्ता और विपक्ष के पार्षदों के बीच यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि निधि जारी करने में हुई देरी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। चुनाव आचार संहिता के चलते न केवल कार्यों पर रोक लगने की संभावना है, बल्कि पार्षदों की सिफारिशों पर भी अमल मुश्किल हो सकता है।

सियासी गलियारों में चर्चा है कि निधि जारी करने का यह निर्णय राज्य सरकार की चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। जानकारों का मानना है कि यह कदम राज्य सरकार द्वारा अपने ऊपर लगने वाले राजनीतिक आरोपों से बचने की कोशिश है। हालांकि, इस स्थिति में पार्षद अपने वार्ड में विकास कार्यों के लिए इस निधि का उपयोग नहीं कर पाएंगे, जिससे आगामी निकाय चुनावों में नई परिषद ही इन निधियों का लाभ उठा सकेगी।

इस बीच, पार्षद निधि को लेकर शहरी इलाकों में चर्चाओं का दौर जारी है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निधि के बहाने पार्षद अपनी राजनीतिक छवि चमकाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, चुनावी आचार संहिता लागू होने की संभावनाओं ने शहरी राजनीति को और गरमा दिया है।

पार्षद निधि को लेकर उत्पन्न इस असमंजस के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और स्थानीय निकाय इन परिस्थितियों से कैसे निपटते हैं।

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