राजनांदगांव के ‘वन चेतना केंद्र’ से मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी, ईको-टूरिज्म को बढ़ावा

राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव वन मंडल के मंगटा क्षेत्र में स्थित ‘वन चेतना केंद्र’ पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और सामुदायिक विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। वन विभाग का यह प्रयास मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और क्षेत्र में ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया है।

मंगटा वन क्षेत्र 387.500 हेक्टेयर में फैला है और पत्थर खदानों, राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे नेटवर्क से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र चीतल, जंगली सूअर, खरगोश और विभिन्न सरीसृपों का निवास स्थान है।

2015 से पहले मंगटा क्षेत्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आम थीं। जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान होता था। वन विभाग को हर साल 10-15 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देना पड़ता था। वहीं, गर्मियों में पानी की कमी से वन्यजीवों की मौतें भी होती थीं।

मंगटा के 58 वर्षीय निवासी और पूर्व सरपंच, देव लाल साहू ने कहा, “जंगली जानवरों द्वारा बार-बार फसलों को नुकसान पहुंचाने से किसानों में नाराजगी थी। हमने सरकार से स्थायी समाधान की मांग की।” वन चेतना केंद्र की स्थापना ने न केवल इन संघर्षों को कम किया, बल्कि क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और आजीविका के नए अवसर भी प्रदान किए।

वन चेतना केंद्र के जरिए पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है। इसके तहत पर्यावरण शिक्षा, प्रकृति के प्रति जागरूकता और स्थानीय समुदायों को रोजगार देने पर जोर दिया गया है। यह केंद्र वन्यजीव संरक्षण और सामुदायिक विकास के बीच संतुलन स्थापित करने का एक आदर्श उदाहरण बन गया है।

वन चेतना केंद्र की स्थापना से न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आई है, बल्कि क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास को भी बढ़ावा मिला है। यह कदम भविष्य में अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।

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