शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर सेवक की सेवा निभाते समय गोलीबारी की घटना से बाल-बाल बच गए। फायरिंग करने वाले शख्स की पहचान नरैन सिंह चौरा के रूप में हुई है, जिसे मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत काबू कर लिया।
घटना का विवरण:
सुखबीर सिंह बादल, जो इन दिनों स्वर्ण मंदिर में ‘सेवक’ के रूप में सेवा कर रहे हैं, मंगलवार को व्हीलचेयर पर बैठे थे जब नरैन सिंह चौरा ने उन पर गोली चलाई। हालांकि, गोली दीवार से टकरा गई और बादल सुरक्षित बच गए।
आरोपी का इतिहास:
नरैन सिंह चौरा पंजाब के गुरदासपुर जिले के चौरा गांव का निवासी है और उसका आपराधिक इतिहास खालिस्तानी अलगाववादी गतिविधियों से जुड़ा रहा है।
- चौरा बाबर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई), खालिस्तान लिबरेशन फोर्स, और अकाल फेडरेशन से जुड़ा रहा है।
- वह 2004 के बुरैल जेल ब्रेक केस का मास्टरमाइंड माना जाता है, जिसमें 94 फुट लंबी सुरंग खोदकर चार कैदियों को भागने में मदद की गई थी।
- 2013 में उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था और उसने 5 साल जेल में बिताए। 2018 में उसे जमानत पर रिहा किया गया।
पृष्ठभूमि:
सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त द्वारा उनके और अन्य अकाली नेताओं द्वारा 2007 से 2017 के दौरान की गई “गलतियों” के लिए धार्मिक सजा (तनखाह) सुनाई गई थी। इसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2007 के एक ईशनिंदा मामले में माफी देना भी शामिल है।
बादल ने अपने किए की सार्वजनिक तौर पर स्वीकारोक्ति करते हुए सेवक के रूप में बर्तन धोने और जूते साफ करने का कार्य किया।
पुलिस कार्रवाई:
घटना के तुरंत बाद नरैन सिंह चौरा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जांच जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि उसने यह हमला क्यों किया।