छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और पेड़ों की सुरक्षा के लिए शहरी निकायों को पेड़ों के आसपास से पावर ब्लॉक्स, कंक्रीट और पत्थरों को हटाने के सख्त निर्देश जारी किए हैं। यह आदेश पेड़ों और पर्यावरण पर इन सामग्रियों के नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए दिया गया है।
एक मीटर दायरे में निर्माण पर रोक
शहरी प्रशासन और विकास विभाग ने सभी नगर निगम आयुक्तों, मुख्य नगर पालिका अधिकारियों और नगर पंचायतों को निर्देश दिया है कि वे पेड़ों के एक मीटर के दायरे से कंक्रीट और पावर ब्लॉक्स हटाएं। इस क्षेत्र में भविष्य में किसी भी प्रकार के निर्माण या मरम्मत कार्य पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पेड़ों से वायर और साइनबोर्ड हटाने के निर्देश
आदेश में पेड़ों पर लगे तार, साइनबोर्ड, विज्ञापन, और बिजली के उपकरण भी हटाने को कहा गया है। विशेष रूप से रायपुर नगर निगम (RMC) को कलेक्टरेट के पास ऑक्सीजन जोन से पेड़ों के आसपास के इन सामग्रियों को हटाने का निर्देश दिया गया है।
2019 के निर्देशों की अनदेखी
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा 2019 में उठाए गए मुद्दे के बाद भी कार्रवाई में देरी हुई थी। हालांकि, 2024 में मुख्य सचिव को इस मामले में दोबारा ध्यान दिलाया गया, जिसके बाद यह कदम उठाया गया। इससे पहले 2019 में भी आरएमसी आयुक्त को पेड़ों के पास से इन सामग्रियों को हटाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन ऑक्सीजन जोन सहित कई स्थानों पर अब भी कंक्रीट मौजूद थी।
कंक्रीट से पेड़ों पर नकारात्मक प्रभाव
नितिन सिंघवी ने बताया कि पेड़ों के तनों और जड़ों के पास कंक्रीट और पावर ब्लॉक्स लगाने से पेड़ों की जड़ें विस्तार नहीं कर पातीं, जिससे पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित होता है।
- कंक्रीट पानी और हवा को रोकता है, जिससे जड़ें सूख जाती हैं।
- ऑक्सीजन की कमी से जड़ों का स्वास्थ्य खराब होता है।
- कंक्रीट गर्मी को अवशोषित कर पेड़ों और जड़ों पर गर्मी का दबाव बढ़ा देता है।
- कंक्रीट के नीचे की बंद सतह पर फंगल संक्रमण और कीटों का खतरा बढ़ जाता है।
इन समस्याओं से पेड़ों की वृद्धि रुक जाती है, उनकी पत्तियां झड़ने लगती हैं, और संरचनात्मक कमजोरी आ जाती है, जो पर्यावरणीय संतुलन को भी प्रभावित करती है।