छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के करली पुलिस लाइन में 31 नक्सलियों के शव खुले में पड़े हुए हैं, जिन्हें सुरक्षा बलों ने एक दिन पहले बड़ी कार्रवाई में मार गिराया। यह छत्तीसगढ़ राज्य के गठन (2000) के बाद से सबसे बड़ा नक्सल विरोधी ऑपरेशन माना जा रहा है। बाद में पुलिस ने नक्सलियों के बयान के आधार पर मृतकों की संख्या बढ़ाकर 38 बताई।
ऑपरेशन के बाद उत्साह और सवाल
जहां एक ओर इस अभियान को लेकर पुलिसकर्मियों में खुशी और आत्मविश्वास देखा गया, वहीं दूसरी ओर शव खुले में पड़े रहने से दुर्गंध फैलने लगी। पुलिस लाइन परिसर में गहमागहमी के बीच, पत्रकार पुलिसकर्मियों से सवाल-जवाब करते दिखे। इस दौरान बारिश की संभावना पर भी चर्चा हुई।
करली पुलिस परिसर: एक प्रतीकात्मक स्थान
करली पुलिस परिसर, जहां नक्सल हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के नाम पर कई सुविधाओं के नामकरण किए गए हैं, अब नक्सलियों के शवों के साथ फोटो खींचने का केंद्र बन गया।
पृष्ठभूमि: नक्सल आंदोलन
1960 के दशक से जंगलों में रहने वाले वंचित समुदाय, जो मुख्यतः आदिवासी हैं, ने राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया था। पश्चिम बंगाल में शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे एक माओवादी विद्रोह में बदल गया, जो आज भी जारी है।