दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में शेख अली की गुमटी पर अवैध कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन और ASI को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में स्थित शेख अली की गुमटी पर अवैध कब्जे को लेकर डिफेंस कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन (DCWA) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की कड़ी आलोचना की। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने सीबीआई द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन करते हुए DCWA और ASI पर सख्त टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति धूलिया ने DCWA के वकील से कहा, “आपको किसने अधिकार दिया यहां प्रवेश करने का? यह किस प्रकार की दलील है?” वहीं, न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने चेतावनी देते हुए कहा कि आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट में ही आपको बाहर निकाल दिया जाएगा।

DCWA के वकील द्वारा इलाके में अवांछित तत्वों के प्रवेश का मुद्दा उठाने पर पीठ ने इसे एक साम्राज्यवादी मानसिकता बताते हुए नाराजगी जताई और कहा, “आप ऐसी बात कर रहे हैं जैसे यह औपनिवेशिक शासन हो।”

सुप्रीम कोर्ट ने ASI की भी आलोचना की कि उन्होंने एक 700 साल पुराने लोधी कालीन मकबरे पर DCWA द्वारा अवैध कब्जा क्यों होने दिया। DCWA ने गुमटी के अंदर झूठी छत, बिजली के पंखे और फर्नीचर भी लगा दिए थे।

कोर्ट ने ASI को फटकार लगाते हुए कहा, “यह आपका ही काम है कि आप ऐसे अवैध कब्जों को रोकें। क्या स्थानीय अधिकारियों का यही काम है?” अदालत ने इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए एक विशेषज्ञ को नियुक्त किया जो गुमटी को हुए नुकसान की समीक्षा कर उचित कदम सुझाएगा। विशेषज्ञ को अपनी रिपोर्ट छह हफ्तों में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है और अगली सुनवाई 21 जनवरी 2025 को होगी।

यह मामला डिफेंस कॉलोनी मार्केट के पास स्थित इस मकबरे के संरक्षण की मांग पर आधारित है। इस मकबरे का निर्माण लोधी काल में हुआ था। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और याचिकाकर्ता राजीव सूरी की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने ऐतिहासिक महत्व की इस इमारत पर हुए अवैध कब्जे को उजागर किया। कोर्ट ने कहा, “अधिकारियों की 60 वर्षों की चुप्पी के बावजूद याचिकाकर्ता ने यह कदम उठाया है।”

याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में अपनी बात रखी। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता शिखिल शिव सूरी और टीआरबी शिवकुमार ने उनका प्रतिनिधित्व किया। केंद्रीय सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और अन्य वकीलों ने पैरवी की।

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