छत्तीसगढ़ सरकार ने अमृतकाल छत्तीसगढ़ विजन@2047 को साकार करने के लिए औद्योगिक विकास पर विशेष जोर देते हुए नई औद्योगिक विकास नीति 2024-29 को लागू किया है। यह नीति 1 नवंबर से प्रभावी हुई है और 31 अक्टूबर 2030 तक जारी रहेगी। राज्य के उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने बताया कि इस नीति के तहत राज्य में संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
इस नीति के तहत राज्य के विकास क्षेत्रों को तीन समूहों में बांटा गया है – पहले समूह में 10 विकासखंड, दूसरे में 61 पिछड़े विकासखंड, और तीसरे समूह में 75 अति पिछड़े विकासखंड शामिल हैं। निवेश प्रोत्साहन की राशि इन समूहों के अनुसार तय की जाएगी। औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन राज्य में नए उद्योगों की स्थापना, विस्तार, विविधीकरण, पुनर्स्थापन आदि गतिविधियों के लिए प्रदान किए जाएंगे।
राज्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, मुख्य सेक्टर उत्पादों जैसे कि स्टील, सीमेंट, थर्मल पावर, और एल्युमिनियम को प्राथमिक और सामान्य उद्योगों में बांटा गया है। फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उत्पाद संरक्षण, गैर-काष्ठ वन उत्पाद प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, आईटी और आईटीईएस आदि के लिए आकर्षक औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं।
नई औद्योगिक नीति में बेस्पोक पैकेज का भी प्रावधान है, जिसमें स्थानीय युवाओं के लिए एक हजार से अधिक नौकरियों का सृजन करने वाले उद्योगों को विशेष पैकेज मिलेगा। नक्सल प्रभावित, कमजोर वर्ग और तृतीय लिंग के उद्यमियों को भी विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
सेवा क्षेत्र में एमएसएमई सेवा उद्यमों और बड़े सेवा उद्यमों के लिए भी अलग-अलग प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया है। इसमें पर्यटन, मनोरंजन, सामाजिक सेवा क्षेत्र और सुरगुजा तथा बस्तर में होम-स्टे सेवाएं शामिल हैं। इसके अलावा, उद्यमिता क्रांति योजना के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सब्सिडी वाले ऋण प्रदान करने का प्रावधान है।
नीति के तहत कोरबा-बिलासपुर-रायपुर को देश के औद्योगिक नक्शे पर लाने के उद्देश्य से एक औद्योगिक कॉरिडोर स्थापित करने का प्रावधान भी किया गया है।