छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने राज्य में कोयला खनन और अन्य विकास परियोजनाओं का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए यह कदम आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाघ अभ्यारण्यों के मुख्य क्षेत्रों से गांवों के स्थानांतरण को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप कानून का सख्ती से पालन करेगी।
जब उनसे जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में कोयला परियोजनाओं के लिए पेड़ों की कटाई के खिलाफ चल रहे विरोध के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने माना कि कुछ लोग कोयला खनन का विरोध कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर लोगों ने इसका समर्थन किया है। कश्यप ने कहा, “इस क्षेत्र के लोग कब तक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद गरीब रहेंगे? विकास और ऊर्जा की समान रूप से आवश्यकता है। लोगों को रोजगार चाहिए, और यदि पेड़ों की कटाई होती है, तो सरकार उस नुकसान की भरपाई करेगी।”
मंत्री ने आगे कहा कि प्रभावित समुदायों के स्वास्थ्य और आजीविका की रक्षा के लिए सरकार जिम्मेदार है। ग्राम सभा की सहमति के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “कानून ग्राम सभाओं को परियोजनाओं को ‘इनकार’ करने की शक्ति देता है, और कुछ मामलों में इसका उपयोग किया गया है। लेकिन ज्यादातर मामलों में कोयला खनन और विकास परियोजनाओं को समर्थन मिला है।”
छत्तीसगढ़, जो 57 अरब टन कोयला भंडार के साथ भारत का तीसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है, विकास के लिए इन परियोजनाओं को जरूरी मान रहा है।