सुकमा जिले में छत्तीसगढ़ शासन की “नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति” और “नियद नेल्ला नार” योजना का असर दिखने लगा है। इस योजना के तहत नक्सली गतिविधियों से तंग आकर और पुलिस के बढ़ते प्रभाव से प्रभावित होकर 3 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें 2 महिलाएं भी शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली:
- कुमारी वेको जोगी उर्फ संगीता – यह किस्टाराम एरिया पार्टी की सदस्या थी, जिस पर 2 लाख का इनाम घोषित था।
- कुंजाम राजे – दुलेड आरपीसी की केएमएस उपाध्यक्ष।
- देवा उर्फ पोरते देवा – गोण्डेरास पंचायत कृषि शाखा का अध्यक्ष।
इन नक्सलियों ने सुकमा के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पण किया। इस मौके पर 241 वाहिनी सीआरपीएफ के कमांडेंट हरिवंदर सिंह, उप पुलिस अधीक्षक मनीष रात्रे और सहायक कमांडेंट नीरज पनवार उपस्थित थे।
पुलिस और सुरक्षा बलों का योगदान: आत्मसमर्पण कराने में पुलिस और सीआरपीएफ के विभिन्न दलों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- कुमारी वेको जोगी को आत्मसमर्पण के लिए 241 वाहिनी सीआरपीएफ की आसूचना शाखा ने प्रेरित किया।
- कुंजाम राजे को थाना चिंतलनार पुलिस बल और डीआरजी डेल्टा बल ने प्रोत्साहित किया।
- देवा को आत्मसमर्पण कराने में 151 वाहिनी सीआरपीएफ की आसूचना शाखा ने विशेष प्रयास किए।
नक्सली गतिविधियों में शामिल: ये नक्सली संगठन में रहते हुए पुलिस पर हमले करने, स्पाईक और बम लगाने, सड़कों को खोदकर मार्ग अवरुद्ध करने और शासन के खिलाफ प्रचार करने जैसी गतिविधियों में शामिल थे।
आत्मसमर्पण के बाद पुनर्वास: आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की नीति के तहत पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा। उन्हें सहायता राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकें।
छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने और नक्सलियों को समाज से जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।