सुकमा में दो हार्डकोर नक्सलियों का आत्मसमर्पण: ‘‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’’ का असर

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस और प्रशासन के सतत प्रयासों से नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल हुई है। ‘‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’’ और सुकमा पुलिस की ‘‘नियद नेल्ला नार’’ योजना से प्रभावित होकर दो हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।

इन नक्सलियों में मड़कम मुया, जो पीएलजीए बटालियन नंबर 1, कंपनी नंबर 2, प्लाटून नंबर 2 के सेक्शन ‘‘बी’’ का पार्टी सदस्य था और 8 लाख रुपये का ईनामी था। दूसरा नक्सली मड़कम सन्ना, पीएलजीए बटालियन नंबर 1, कंपनी नंबर 1, प्लाटून नंबर 3 के सेक्शन ‘‘बी’’ का पार्टी सदस्य/पीपीसीएम था और उस पर भी 8 लाख रुपये का ईनाम था।

दोनों नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय सुकमा में नीरज कुमार सिंह, द्वितीय कमान अधिकारी 219 वाहिनी सीआरपीएफ, परमेश्वर तिलकवार, पुलिस अनुविभागीय अधिकारी सुकमा और निरीक्षक शिवानंद तिवारी, थाना प्रभारी सुकमा के समक्ष बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण सुकमा में पुलिस के बढ़ते प्रभाव, नक्सलियों की अमानवीय और आधारहीन विचारधारा, और उनके द्वारा स्थानीय आदिवासियों पर हो रहे शोषण और अत्याचार से तंग आकर किया गया।

दोनों आत्मसमर्पित नक्सलियों को कपड़े और 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। इसके साथ ही, ‘‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’’ के तहत उन्हें सहायता राशि और अन्य सुविधाएँ भी प्रदान की जाएंगी।

यह आत्मसमर्पण पुलिस और प्रशासन की बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नक्सलियों के आत्मसमर्पण से यह साबित होता है कि ‘‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’’ ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक असर दिखाना शुरू कर दिया है।