Uttar Pradesh में नाराज ठाकुरों को मनाने के लिये राजनाथ-शाह ने संभाला मोर्चा

उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय समाज की बीजेपी से नाराजगी ने पार्टी आलाकमान को हिला कर रख दिया है। इसी नाराजगी से डरा पार्टी आलाकमान कैसरगंज लोकसभा सीट से बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटने के बावजूद उनके बेटे को टिकट देने को मजबूर हो गया, वहीं पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मैनपुरी में समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा महाराणा प्रताप सिंह की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की घटना को भी खूब हवा दे रहा है, ताकि क्षत्रिय वोटरों को अपने पाले में खींचा जाये। दरअसल, चार मई को मैनपुरी में अखिलेश यादव के रोड शो के दौरान समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा महाराणा प्रताप की प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ की गई और उनके हाथ में सपा का झंडा थमा दिया गया था, जिसे बीजेपी के नेताओं ने अपने बयान से बड़ा मुद्दा बना दिया। इसके साथ ही मैनपुरी में राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर अराजकता और उपद्रव करने के साथ ही प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करने वाले सपाई कार्यकर्ताओं पर मैनपुरी कोतवाली में एफआईआर दर्ज हो गई। वहीं, इस घटना से आक्रोशित लोगों ने दूसरे दिन महाराणा प्रताप चौक पर धरना दिया और अराजक सपाइयों के साथ ही सपा के लोकसभा प्रभारी और विधान सभा प्रभारी की गिरफ्तारी की मांग की। महाराणा प्रताप क मूर्ति से छेड़छाड़ की घटना को भुनाने के लिये बीजेपी के साथ उसके अनुवांशिक संगठन भी आगे आ गये हैं।
उधर, ठाकुरों को मनाने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवा चोले से निकल कर बाहर आने को मजबूर हो गये। वह पश्चिमांचल से लेकर पूर्वांचल तक में क्षत्रियों को मनाने की कसरत कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब यूपी के ठाकुरों को मनाने के लिये बीजेपी की केन्द्रीय टीम भी उतर आई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी ठाकुरों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है,तो केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी यूपी में क्षत्रिय समाज के बीच पैठ रखने वाले नेताओं से सम्पर्क में हैं। उधर, कहा यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए बीजेपी भले ही दावे कर रही है, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए को इंडी गठबंधन के उम्मीदवारों से कड़ी टक्कर मिल रही है। इसको देखते हुए बीजेपी हर एक सीट पर जीत दर्ज करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।  
इसी कड़ी में अब बीजेपी में वरिष्ठ नेता व गृहमंत्री अमित शाह ने रूठे नेताओं की कमान संभाल ली है। शाह ने पहले बृजभूषण शरण सिंह से बात कर कैसरगंज सीट का हल निकाला और अब जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया व कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया से बेहद अहम मुलाकात की है। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने राजा भैया से मुलाकात कर कौशाम्बी सीट पर उनका समर्थन मांगा है। वहीं राजा भैया ने भी समर्थन देने की बात कह दी है। बता दें, राजा भैया को अपने पाले में लाने का प्रयास करके क्षत्रिय समाज की नाराजगी को कम करने का प्रयास किया है।
बताते चलें कुंडा से विधायक व बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हमेशा से चाहते थे कि कौशांबी लोकसभा सीट बीजेपी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के लिए छोड़ दें। क्योंकि चाहे राज्यसभा चुनाव हो या अन्य मौके राजा भैया ने समय समय पर बीजेपी की मदद की है। सीएम योगी की तारीफ से लेकर बीते राज्यसभा चुनाव में सपा के विधायकों की बगावत में राजा भैया का अहम रोल रहा है। इसको लेकर कहीं ना कहीं किसी रूप में बीजेपी ने भी राजा भैया को आश्वस्त भी किया था। राजा भैया कौशांबी सीट से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन राजा भैया की बात नहीं बन पाई। बीजेपी ने दो बार के सांसद विनोद सोनकर को फिर से टिकट दे दिया है। कौशांबी लोकसभा सीट में कुंडा और बाबागंज विधानसभा सीट भी आती है, जहां राजा भैया की चलती है। यह दोनों ही सीट राजा भैया के प्रभाव वाली हैं। कुंडा से खुद राजा भैया लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। साथ ही बाबागंज सीट से राजा भैया के करीबी विधायक हैं। ऐसे में जब हर सीट पर कांटे का मुकाबला हो रहा है। अब गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद अगर राजा भैया अगर बीजेपी प्रत्याशी की मदद कर देंगे तो कौशाम्बी सीट से बीजेपी की जीत तय हो जाएगी। कौशाम्बी से बीजेपी के उम्मीदवार की घोषणा करने के बाद से राजा भैया शांत हो गए थे। जानकार बताते हैं कि राजा भैया अंदर ही अंदर रणनीति तैयार कर रहे थे। इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती थी, इसी को लेकर अमित शाह को मोर्चा संभालना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि कुंडा विधायक राजा भैया और गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात बैंगलुरू में हुई थी। 
बीजेपी जिस तरह से यूपी में एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं उसके आधार पर कुछ राजनैतिक पंडित कह रहे हैं कि असल में अबकी बार बीजेपी का 400 पर का नारा सिर्फ नारा ही लग रहा है, जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इसकी भनक बीजेपी नेतृत्व को भी लग गई है। इसको लेकर बीजेपी नेतृत्व बहुत चिंतित है, इसलिए हर सीट पर जीत दर्ज करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं राजा भैया समर्थकों और बीजेपी उम्मीदवार विनोद सोनकर के बीच तनातनी की खबरें जगजाहिर है।