चुनाव यात्रा के दौरान प्रभासाक्षी की टीम ने कई संसदीय सीटों का दौरा किया और मतदाताओं का चुनावी रुझान जानने की भी कोशिश की है। लगभग 4 महीने पहले मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सभी अनुमान, सर्वेक्षण और एग्जिट पोल को धता बताते हुए शानदार जीत हासिल की थी। चुनाव के बाद बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को हटाकर मोहन यादव को यहां मुख्यमंत्री बनाया है। जो पार्टी की सामाजिक समीकरणों को साधने की एक कोशिश है। बीजेपी को इस बार पिछले चुनाव में हारी हुई एकमात्र छिंदवाड़ा सीट पर भी जीतने की उम्मीद है। भाजपा का लक्ष्य सभी 29 सीटें जीतने का है। हालांकि यह लक्ष्य इतना भी आसान नहीं है लेकिन बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मिली रिकॉर्ड तोड़ जीत को देखते हुए यह लक्ष्य नामुमकिन भी नहीं लगता है। तभी बीजेपी नारा देती है कि मोदी है तो मुमकिन है।
बीजेपी में अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कांग्रेस से पहले ही कर दी थी। इसलिए देखा जा रहा कि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस उतनी एकजु़टता से चुनाव नहीं लड़ रही है। भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को भी उम्मीदवार बनाया गया है वह अपनी संसदीय क्षेत्र विदिशा के अलावा और भी क्षेत्रों में प्रचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बीजेपी के जो स्टार प्रचारक लगातार यहां पर आ रहे हैं। इसी तरह राहुल गांधी, प्रियंका गांधी भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने युवा जीतू पटवारी को अध्यक्ष बनाया है।
मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 28 सीटों पर जीत हासिल करके इतिहास रच दिया था। चार-पांच महीने पहले हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी। चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा ने उज्जैन के विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी है। मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सरकार की सारी योजनाओं को तो जारी रखा ही साथ ही जिस तरह कई नई योजनाएं शुरू की हैं। इसके मोदी की गारंटी वाले नारे के प्रति जनता का जो विश्वास है उसके दाम पर बीजेपी इस बार राज्य की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल होने का दावा कर रही है। कांग्रेस ने इस बार अपने कई दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतरकर यह संकेत दिया है कि वह बड़ी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ रही है।
कांग्रेस पार्टी महाकौशल क्षेत्र की सीटों छिंदवाड़ा मंडल और बालाघाट के अलावा मुरैना सीट पर भी जीत के प्रति आशान्वित है क्योंकि यहां मजबूत उम्मीदवार दिया गया है। इसके अलावा कांग्रेस को उम्मीद है कि अपने गृह क्षेत्र राजगढ़ से दिग्विजय सिंह भी जीत कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस की उम्मीद पर एक-एक करके पानी फिरता जा रहा है क्योंकि जहां-जहां कांग्रेस की जीत की उम्मीद है वहां के पार्टी विधायक या बड़े पदाधिकारी बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। इस सबसे कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके अलावा इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी ने जिस प्रकार पाला बदला उससे भी पार्टी की छवि पर असर पड़ा है। दूसरी ओर बीजेपी निश्चित रूप से राज्य में बढ़त बनाए दिख रही है और उसका चुनावी प्रबंधन भी कुशलता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। पार्टी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि का लाभ पार्टी के उम्मीदवारों को मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भोपाल में रोड शो भी किया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री की जनसभाएं भी विभिन्न इलाकों में कराई जा रही हैं।
इस सबके बावजूद पूरे मध्यप्रदेश में मतदाताओं में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं है। भाजपा का हाई प्रोफाइल प्रचार अभियान हो या कांग्रेस का चुनाव प्रचार मतदाता इस बार चुनावी शोर से दूर रहना पसंद कर रहे हैं। हो सकता है कि 4 महीने के भीतर दूसरा चुनाव आ जाने से मतदाताओं में उत्साह नहीं है। इस माहौल को देखकर राजनीतिक दल बैठकर अपने-अपने मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक लाने की रणनीति बना रहे हैं ताकि चुनावी लक्ष्य हासिल हो सके। राज्य में बीजेपी के आक्रामक चुनाव प्रचार को देखकर शुरू में कांग्रेस में निराशा देखी थी लेकिन पहले चरण में कम मतदान होने से कांग्रेस का उत्साह बढ़ा और उसे लगा कि मतदाता बीजेपी के प्रति बेरुखी दिखा रहे हैं। इसलिए दूसरे चरण से कांग्रेस भी रक्षात्मक की बजाय आक्रामक रवैया दिख रही है। यह चुनाव हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए जीतू पटवारी, मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत सभी के लिए यह चुनाव बड़ी परीक्षा है। प्रियंका गांधी ने सिंधिया के जाकर उन्हें काफी बुरा भला कहा था लेकिन सिंधिया ने किसी पर पलटवार नहीं किया।