अयोध्या मसले पर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने शीर्ष अदालत में दाखिल की पुनर्विचार याचिका

शीर्ष अदालत के अयोध्या विवाद पर हाल ही में दिए गए फैसले पर असहमति जाहिर करते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद संगठन द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। याचिका में फैसले में एतिहासिक तथ्यों को नजर अंदाज किए जाने का हवाला देते हुए इस पर फिर से विचार किए जाने की अपील की गई है। इसके अलावा याचिका में अदालत के फैसले में इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी का उल्लेख भी किए जाने का जिक्र किया गया है।

नई दिल्ली। शीर्ष अदालत द्वारा अयोध्या विवाद का निराकरण करते हुए 9 नवंबर को दिए गए फैसले पर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द द्वारा असहमति जाहिर की गई है। संगठन ने इसके लिए सोमवार को शीर्ष अदालत मं याचिका दाखिल कर फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई। याचिका एम सिद्दीक की ओर से दाखिल की गई है। जानकारी के मुताबिक संगठन ने अदालत के दिए गए फैसले में इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी का उल्लेख किए जाने का हवाला देते हुए कहा गया है कि फैसले में ऐतिहासिक गल्तियों का जिक्र है, लेकि फैसला उलट आया है। इसके अलावा फैसले में शीर्ष ने 22-23 दिसंबर 1949 की रात आंतरिक अहाते में मूर्तियां को रखे जाने तथा 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा तोड़े जाने को भी गलत कहा था। लेकिन इन गलतियों पर सजा देने के बजाय संबंधित पक्ष को पूरी ज़मीन दे दी गई। इन बिंदुओं की ओर शीर्ष अदालत का ध्यानाकृष्ट करते हुए संगंठन ने इस फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध याचिका में किया है।

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