अदालत को गुमराह कर फर्जी तरीके से अभियुक्त की जमानत लेने का प्रयास किए जाने का मामला सामने आया है। मामले में मजिस्ट्रेट की शिकायत के आधार पर पुलिस ने दो अलग अलग मामलों में आरोपी के खिलाफ दफा 420 का अपराध पंजीबद्ध किया है। आरोपी ने ऋण पुस्तिका से न्यायालय से ली गई जमानत संबंधी प्रविष्ठियों के मूल पन्नों को निकाल कर उनके स्थान पर फोटो कापी लगा दी थी। पुलिस ने आरोपी तलाश प्रारंभ कर दी है।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला दुर्ग न्यायालय के प्रथम न्यायायिक दंडाधिकारी डी.पी. डांगी की अदालत का है। न्यायाधीश डांगी की अदालत में आबकारी एक्ट की धारा 34 (1) के आरोपी लल्ला ढीमर के जमानत आवेदन पर विचार किया जा रहा था। 26 नवंबर को ग्राम लिटिया (बोरी) निवासी नेम सिंग (50 वर्ष) अदालत के समक्ष इस मामले में जमानतदार के रुप में उपस्थित हुआ था। जमानत के लिए नेम सिंग द्वारा प्रस्तुत की गई ऋण पुस्तिका पर संदेह होने पर जांच की गई। जांच में पाया गया कि ऋण पुस्तिका के मूल पन्नों को फाड़कर अलग कर दिया गया है और उनके स्थान पर फोटोकापी लगाई गई है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि इस ऋण पुस्तिका के माध्यम से न्यायालय से अन्य आरोपियों की जमानत नेम सिंग द्वारा ली गई थी, लेकिन इससे संबंधित पन्नों को अलग कर उनके स्थान पर फोटो कापी लगा दी गई थी।
इसके अलावा 26 नवंबर को ही नेम सिंग ने मारपीट के आरोपी प्रदीप साहू व मोहन साहू की जमानत के लिए भी ऋण पुस्तिका प्रस्तुत की थी। इस ऋण पुस्तिका में भी इसी प्रकार की कूट रचना किए जाने का खुलासा हुआ। इन दोनों मामलों का खुलासा होने पर जेएमएफसी डी.पी. डांगी के निर्देश पर नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई। इन मामलो ंमें पुलिस ने आरोपी नेम सिंग के खिलाफ दफा 420 के 2 अलग अलग प्रकरण दर्ज कर पतासाजी प्रारंभ कर दी है।