मुखबिरी के शक में नक्सली फरमान : भाई को मार डालो या गांव करो खाली, दर-दर की ठोकरें खा रहा परिवार

जगदलपुर (छत्तीसगढ़)। बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित एक गांव का परिवार इन दिनों नक्सलियों से मिली धमकी के बाद दहशत के कारण इन दिनों खानाबदोश की जिंदगी बिता रहा है। अपना पुश्तैनी खेत, घर, मवेशी छोड़कर दर-दर की ठोकरें खाने मजबूर है। दरअसल इस परिवार के एक सदस्य पर नक्सलियों को पुलिस का मुखबिर होने का संदेह है। जिसके चलते माओवादियों ने एक युवक को फरमान सुनाया है कि अगर गांव में रहना है तो अपने भाई को मार डालो। वरना परिवार के साथ गांव छोड़ दो। ऐसा नहीं किया तो सब मारे जाओगे।

धमकी के बाद युवक अपनी बूढ़ी मां, पत्नी, दो बच्चों, बहन को लेकर अपना घर, मवेशी, खेत सब कुछ छोड़ गांव से निकल गया और दंतेवाड़ा आ गया है। अब मासूम बच्चों के साथ पूरा परिवार दर-दर की ठोकर खा रहा है। मामला बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित गांव मरकमगुड़ा का है। इस गांव के रहने वाले बामन यादव को नक्सलियों ने फरमान सुनाकर कहा कि, तुम्हारा भाई रमेश पुलिस की मुखबिरी कर रहा है। गांव में रहना है तो उसे मार डालो। नक्सलियों को इस बात का शक था कि रमेश पुलिस विभाग में शामिल हो गया है। गांव की एक-एक खबर नक्सलियों को दे रहा है। अब धमकी के बाद अपनी पुस्तैनी जमीन, घर सब कुछ छोड़कर परिवार रोटी, छत के लिए भटक रहा है।

बामन का कहना है कि मेरा भाई पुलिस में नहीं है और न ही वह मुखबिरी करता है। दंतेवाड़ा के पालनार में रहकर वह पढ़ाई कर रहा था। नक्सली उस पर शक जताने लगे और हम सभी को परेशान करने लगे। अपने भाई की हत्या मैं कैसे कर सकता हूं। इसलिए गांव, घर सब कुछ छोड़ परिवार के साथ आया हूं। वरना नक्सली हम सभी को मार देते।

बामन के छोटे भाई रमेश ने बताया कि गांव में 30 एकड़ का खेत, खुद का घर, मवेशी सब कुछ है। पिताजी की 6 साल पहले मौत हो गई। इसके बाद खेती- किसानी कर घर का खर्च बड़े भाई चला रहे थे। अब दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ गए हैं। मैं न तो पुलिस में हूं और न ही पुलिस का मुखबिर हूं। फिर भी नक्सली मुझ पर शक जता रहे। मेरा पूरा परिवार परेशान है। मदद के लिए मैं दंतेवाड़ा कलेक्टर से भी मिलने गया था। लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। सरकार से आग्रह है कि वे हमारी मदद करें।

बता दें कुछ दिन पहले बीजापुर जिले से ही ऐसा ही एक मामला सामने आया था। जिले के नक्सल प्रभावित दरभा गांव के तीन युवा पुलिस फोर्स में भर्ती हुए तो नक्सलियों ने परिवार को गांव से बेदखल कर दिया। ये तीन परिवार भी अपना सब कुछ छोड़कर दंतेवाड़ा पहुंच गए हैं। यहां अपने रिश्तेदारों के घर रह रहे हैं।