युवती का दैहिक शोषण, दो कांस्टेबल के साथ एक डॉक्टर को मिली ता-उम्र-कैद

भिलाई के बहुचर्चित युवती को धमका कर दैहिक शोषण किए जाने के मामले में न्यायालय द्वारा दो कांस्टेबल के साथ एक डॉक्टर को दोषी ठहराया गया है। आरोपियों को शेष जीवन काल के लिए कारावास से दंडि़त किए जाने का फैसला न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में सुनाया गया है। इस मामले की पीडि़ता ने न्यायालय में विचारण के दौरान ही फांसी लगा कर जान दे दी थी। प्रकरण में अदालत ने पीडि़ता द्वारा न्यायायिक मजिस्टे्रट के समक्ष 164 के तहत दर्ज कराए गए बयान को महत्वपूर्ण मानते हुए यह फैसला सुनाया है। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार तथा अति. लोक अभियोजक कमल वर्मा ने पैरवी की थी।

दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला 7 जनवरी 2015 को सामने आया था। पुलिस में पीडि़ता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके साथ पुलिस के दो कांस्टेबल सौरभ भक्ता व चंद्रप्रकाश पांडे के साथ सुपेला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. गौतम पंडित द्वारा सामूहिक रुप से अनाचार किया गया। इस दौरान आरोपियों ने उसकी अश्लील वीडिय़ों बना ली थी। इस विडियों के आधार पर आरोपी लगातार उसका दैहिक शोषण कर रहे थे। लगातार किए जा रहे दैहिक शोषण से वह गर्भवती भी हो गई थी। आरोपी सौरभ भक्ता ने दवाई देकर युवती का गर्भपात करा दिया था। सुपेला पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
प्रकरण पर विचारण पश्चात न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी ने तीनों आरोपियों को युवती का सामुहिक दैहिक शोषण करने का दोषी पाया। मामले में आरोपी कांस्टेबल सौरभ भक्ता, कांस्टेबल चंद्रप्रकाश पांडे तथा डॉ. गोतम पंडित को दफा 376 (2)(ख), 376 (घ) के तहत दोषी ठहराते हुए दो बार ता-उम्र के कारावास तथा 20-20 हजार रु. के अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा दफा 506 (बी) के तहत तीनों अभियुक्तों को 3-3 वर्ष के कारावास व 500-500 रु. के अर्थदंड से दंडित किए जाने का फैसला दिया है। न्यायालय ने अभियुक्त सौरभ भक्ता को युवती का गर्भपात कराने का जिम्मेवार ठहराते हुए दफा 315 के तहत 3 वर्ष कारावास व 500 रु. के अर्थदंड से भी दंडि़त किया है।
यह था मामला
पीडि़त युवती पीलिया का इलाज कराने के लिए 19 जून 2014 में सुपेला अस्पताल में दाखिल हुई थी। जहां डॉ. गौतम पंडित ने उसे नशीला इंजेक्शन दिया और उसे पुलिस गार्डरुम ले जाकर कांस्टेबल सौरभ भक्ता तथा कांस्टेबल चंद्रप्रकाश पांडे के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया था। जिसके बाद युवती को इस घटना का विडियों बना लिए जाने और उसे वायरल करने की धमकी देकर आरोपी प्राय: युवती का शारीरिक शोषण कर रहे थे। शारीरिक शोषण के चलते युवती गर्भवती हो गई थी। जिसका गर्भपात सौरभ भक्ता ने दवाई देकर करवाया दिया था। इसके बाद भी युवती का निरंतर शारीरिक शोषण जारी रहा। दिसंबर 2014 में पीडि़त युवती ने इस मामले की जानकारी छावनी पुलिस को दी थी। जिसके बाद मामले पर कार्रवाई करते हुए सुपेला पुलिस ने 7 जनवरी 2015 को आरोपियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया था और विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था।
पीडि़ता ने आत्महत्या कर उठाए थे सवाल
प्रकरण पर विचारण के दौरान ही पीडि़ता ने 28 जनवरी 2016 को अपने घर में फांसी लगा कर जान दे दी थी। इस दौरान उसने अपने लिखे सुसाइट नोट में न्याय मिलने पर संदेह व्यक्त करते हुए जान देने का उल्लेख किया था। जिसके बाद प्रकरण को विचारण न्यायालय से अन्य न्यायालय में विचारण के लिए भेज दिया गया था।
न्यायालय ने कहा रक्षक ही बन गए भक्षक
फैसले में न्यायालय ने कहा है कि प्रकरण के अभियुक्त डॉ. गौतम पंडित डॉक्टर होते हुए, सौरभ भक्ता व चंद्रप्रकाश पांडे ने पुलिस कर्मी होकर पीडि़ता को सुरक्षा के लोक कर्तव्य का पालन करने के लिए आबद्ध होने के बाद भी सामूहिक दुष्कर्म करने का गंभीर अपराध व अन्य अपराध किए है। इस प्रकार अभियुक्तगण का कार्य रक्षक होने के बाद भी वे स्वंय पीडि़ता के भक्षक बन गए। जिसकी पीड़ा से छुब्ध होकर पाडि़ता ने 28 जनवरी 2016 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इन परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्तगण के प्रति दंड के बिंदू पर नरमी बरतना उचित प्रतीत नहीं होता है।

One thought on “युवती का दैहिक शोषण, दो कांस्टेबल के साथ एक डॉक्टर को मिली ता-उम्र-कैद

  1. न्याय मिला।
    बच्ची की आत्मा कोशान्ति मिलेगी

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