बस्तर गोंचा महापर्व : वर्चुअल रुप से शामिल हुए मुख्यमंत्री, कहा बस्तर के हजारों रंगों में से गोंचा-महापर्व भी है एक रंग

रायपुर (छत्तीसगढ़)। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास कार्यालय से वर्चुअल रूप से “बस्तर गोंचा महापर्व” में शामिल हुए। 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज द्वारा पिछले 616 वर्षों से लगातार आयोजित किया जा रहा है ‘बस्तर गोंचा महापर्व’। जगदलपुर के सिरहासार भवन में ‘बस्तर गोंचा महापर्व 2023’ का आयोजन किया गया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि बस्तर का बहुत समृद्ध इतिहास है। यहां की संस्कृति की छटा बड़ी ही निराली है।बस्तर को, और बस्तर की संस्कृति को तभी अच्छी तरह समझा जा सकता है, जब बस्तर के साथ-साथ जिया जाए। दूर से न तो इस संस्कृति को समझा जा सकता है, न ही इसका आनंद लिया जा सकता है।

बस्तर के हजारों रंगों में से एक रंग गोंचा-महापर्व का भी है। यह गोंचा महापर्व आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तो है ही, यह बस्तर के सांस्कृतिक विकास को जानने-समझने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।

गोंचा महापर्व का इतिहास 616 वर्षों से भी पुराना है। यह 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के बस्तर आने के इतिहास से जुड़ा हुआ है। ओडिशा का गुड़िंचा पर्व बस्तर में आकर गोंचा पर्व हो गया। ओडिशा के ब्राह्मण बस्तर में आकर आरण्यक हो गए। गोंचा की, और 360 घर ब्राह्मण समाज की, बस्तर ही स्थायी पहचान है।

बस्तर में जिस अंदाज से गोंचा पर्व मनाया जाता है, वह अंदाज बड़ा ही अनूठा है। भगवान जिस रथ में भ्रमण करते हैं, वह भी बड़ा ही अनूठा है। भगवान को जिस तुपकी से सलामी दी जाती है, वह तुपकी भी अनूठी है, उस तुपकी में इस्तेमाल किए जाने वाली गोली यानी फल भी अनूठा है।
हमारे देव, हमारी देवगुड़ियां, हमारी मातागुड़ियां केवल आध्यात्मिक महत्व के स्थान नहीं है। ये स्थान हमारे मूल्यों से जुड़े हुए हैं। इसीलिए हमारी सरकार इन स्थानों को सहेजने और संवारने का काम कर रही है।

राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के माध्यम से हम उत्तर से लेकर दक्षिण तक भगवान राम के वनवास से जुड़े स्थलों को चिन्हित करके उन्हें पर्यटन तीर्थों के रूप में विकसित कर रहे हैं। इनमें जगदलपुर और सुकमा जिले का रामाराम भी शामिल है। हाल ही में हमने रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया। इसमें विदेशों की रामलीला मंडलियों ने भी भाग लिया।

महापर्व में भगवान श्री श्री जगन्नाथ जी की आरती में भी मुख्यमंत्री उपस्थित रहे, प्रदेशवासियों के समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, विधायक चन्दन कश्यप, छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एम. आर. निषाद, जनप्रतिनिधिगण एवं श्रद्धालुगण भी उपस्थित थे।