दुर्ग (छत्तीसगढ़)। नाबालिग के दैहिक शोषण से बिन ब्याही मां बनने के मामले में स्पेशल कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने इस आरोप में शादीशुदा दो बच्चों के पिता को दोषी करार दिया है।आरोपी को कुल 23 वर्ष के कारावास तथा 5100 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। इस मामले में अदालत ने डीएनए टेस्ट भी कराया गया था। जिसमें पीड़ित किशोरी के नवजात का पिता आरोपी के ही होने की पुष्टि हुई थी। यह फैसला आज विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) संगीता नवीन तिवारी की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।
मामला नंदनी नगर थाना क्षेत्र का है। 16 वर्षीय पीड़ित किशोरी 25 मई 2021 की शाम अपने घर से गायब हो गई थी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने किशोरी की पतासाजी प्रारंभ की थी। पड़ताल के दौरान किशोरी को बेमेतरा थानांतर्गत ग्राम कंतेली भाठा से 31 मई को बरामद किया गया था। पूछताछ में किशोरी ने बताया कि कंतेली निवासी दीपक वर्मा (25 वर्ष) शादी का प्रलोभन देकर भगाकर लाया था और भाठा के झोपड़ीनुमा घर में रखा था। जहां उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध भी बनाए। इससे पूर्व जब वह अपनी बहन के यहां बेमेतरा के सिंघोली गांव गई थी उस दौरान भी दीपक ने जबरदस्ती उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। बार-बार शारीरिक संबंध बनाए जाने से किशोरी गर्भवती हो गई है।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और विवेचना पश्चात विचारण के लिए प्रकरण को अदालत के समक्ष पेश किया गया। विचारण फास्ट ट्रैक कोर्ट में किया गया। विचारण अवधि में ही पीड़ित ने कन्या शिशु को जन्म दिया। इस शिशु का पिता होने से आरोपी द्वारा इंकार किए जाने पर नवजात और आरोपी का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराया गया। टेस्ट में आरोपी के ही नवजात का पिता होने पुष्टि हुई।
प्रकरण पर विचारण पश्चात कोर्ट ने अभियुक्त दीपक वर्मा को नाबालिग को बिना उसके परिजनों की सहमति के साथ ले जाने और शारीरिक संबंध बनाए जाने का दोषी करार दिया। अभियुक्त को दफा 363 के तहत 3 वर्ष तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 वर्ष के कारावास से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।