साथी अधिवक्ता व उसके पुत्रों के खिलाफ पुलिस द्वारा छेडख़ानी का जुर्म दर्ज किए जाने पर अधिवक्ताओं ने नाराजगी जाहिर की है। विरोध स्वरुप अधिवक्ताओं ने अघोषित चक्का जाम कर दिया। अधिवक्ताओं का आरोप है कि पुलिस ने साधारण मारपीट की घटना को द्वेषपूर्वक छेड़छाड़ का बनाया है। इस मामले के आरोपी अधिवक्ता को पुत्रों के साथ पुलिस द्वारा न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
दुर्ग (छत्तीसगढ़)। मामला खुर्सीपार क्षेत्र का है। राज्योत्सव के उपलक्ष्य में शुक्रवार को खुर्सीपार में महिली समिति द्वारा पौधरोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान रोपे गए कुछ पौधों को चौधरी परिवार द्वारा उखाड़ दिए जाने का आरोप महिलाओं ने लगाया है। जिससे महिलाओं व टीएल चौधरी के पुत्र अभिलेष व अमिनेष में विवाद हो गया। विवाद हाथापाई तक जा पहुंचा। इसी दौरान अधिवक्ता टीएल चौधरी भी मौके पर पहुंच गए थे। हाथापाई के दौरान एक महिला का गाउन फट जाने का आरोप है। महिलाओं ने चौधरी परिवार पर मारपीट कर जान से मारने की धमकी देने तथा महिला के कपड़े फाड़े जाने की शिकायत खुर्सीपार पुलिस में की थी। जिसके आधार पर पुलिस ने अधिवक्ता व उसके दोनों पुत्रों के खिलाफ दफा 294, 323, 506 तथा 354 का अपराध पंजीबद्ध कर आरोपियों को हिरासत में ले लिया था।
इस मामले की जानकारी जिला न्यायालय पहुंचने पर अधिवक्ता उत्तेजित हो गए और वकील परिवार के खिलाफ बिना आधार के धारा 354 के तहत जुर्म दर्ज किए जाने का आरोप लगाने लगे। इस मुद्दे को लेकर अधिवक्ताओं द्वारा जीई रोड़ पर विरोध स्वरुप चक्काजाम भी किया। जिससे लगभग आधा घंटे तक वाहनों का आवागमन बाधित रहा। शाम लगभग 5 बजे पुलिस द्वारा आरोपी पिता पुत्र को प्रथम न्यायायिक दंडाधिकारी मयूरा गुप्ता के अदालत में पेश किया गया। अदालत के सामने भी भारी संख्या में अधिवक्ता जुट गए थे। न्यायाधीश ने आरोपियों की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन को स्वीकार करते हुए तीनों आरोपियों को 25-25 हजार की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।