दुर्ग (छत्तीसगढ़)। सहेली के पास पढ़ने जाने का बहाना कर घर निकली लापता नाबालिग को लगभग 8 माह पश्चात प्रेमी के साथ बरामद किए जाने के मामले में अदालत ने आज फैसला सुनाया है। अदालत ने प्रेमी को नाबालिग के साथ दैहिक संबंध बनाने और परिजनों की सहमति के बिना साथ ले जाने के आरोप में दोषी करार दिया है। आरोपी को कुल 23 वर्ष के कारावास और 5100 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। यह फैसला शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) संगीता नवीन तिवारी की अदालत में सुनाया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की थी।
मामला नंदिनी नगर थाना क्षेत्र का है। 11 अक्टूबर 2020 की दोपहर 17 वर्षीय किशोरी अपनी सहेली के यहां पढ़ने के नाम से घर से निकली थी। देर शाम घर वापसी नहीं होने पर परिजनों ने खोजबीन प्रारंभ की। किसी प्रकार की जानकारी हासिल नहीं होने पर दूसरे दिन पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर नाबालिग की पतासाजी प्रारंभ की थी।
किशोरी की गुमशुदगी के लगभग 8 माह बाद पुलिस ने 4 जून 2021 को पूना से बरामद किया था। पूना में वह अपने प्रेमी रितेश कुमार साहू (23 वर्ष) के साथ रह रही थी। पुलिस ने नाबालिग का अपहरण करने के आरोप में रितेश को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में किशोरी ने बताया कि रितेश उसे शादी का वादा कर घर से भगा ले गया था। घर से निकलने के बाद दोनों पूना चले गए थे। जहां पति-पत्नी के समान रह रहे थे। इस दौरान रितेश ने कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने आरोपी रितेश के खिलाफ नाबालिग को अपहृत करने, शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में विवेचना पश्चात प्रकरण को न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए प्रस्तुत किया था।
प्रकरण पर विचारण पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में किया गया। विचारण पश्चात न्यायाधीश ने आरोपी रितेश कुमार साहू (23 वर्ष) को किशोरी को बिना उसके परिजनों की सहमति के बिना साथ ले जाने और किशोरी के नाबालिग होने की जानकारी होने के बावजूद शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में दोषी करार दिया। अभियुक्त को दफा 366 के तहत 3 वर्ष तथा पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 वर्ष के कारावास से दंडित किया गया है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।